
पुणे। महाराष्ट्र में प्रशासक शासन के अधीन चल रही महानगरपालिकाओं, जिला परिषदों, पंचायत समितियों और नगर परिषदों की चुनाव प्रक्रिया अब जल्द शुरू होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (6 मई) को महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया है कि वह राज्य की उन सभी स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव आगामी चार महीनों में अनिवार्य रूप से कराए।
इस निर्णय के साथ ही पिछले तीन वर्षों से टलते आ रहे चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। अब पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका, पुणे जिला परिषद सहित राज्य की 28 महानगरपालिकाओं, 25 जिला परिषदों और 285 पंचायत समितियों में चुनाव संपन्न होंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को राज्य और केंद्र सरकार के लिए बड़ी चेतावनी माना जा रहा है। यह समाचार मिलते ही सभी राजनीतिक दलों की सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। उम्मीदवार भी अब कार्यकर्ताओं को जुटाने के काम में लग गए हैं।
ध्यान रहे ओबीसी आरक्षण पर भी स्पष्ट निर्देश आया है। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के लिए पूर्व की तरह आरक्षण बरकरार रखा जाए। वर्ष 2022 में बांठिया आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से पहले जो आरक्षण लागू था, वही आगामी चुनावों में लागू रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि, “ग्राम स्तर पर लोकतंत्र की अनदेखी हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। तीन वर्षों से कुछ संस्थाओं में चुनाव न होना बेहद गंभीर मामला है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनावों में हुई देरी संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुख्य बिंदु:
आगामी चार सप्ताह में चुनाव अधिसूचना जारी की जाए।
चार महीनों में सभी लंबित चुनाव पूरे किए जाएं।
वर्ष 1994 से 2022 तक लागू ओबीसी आरक्षण के अनुपात को ही लागू किया जाए।
राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग तय समयसीमा के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी करें।
आगामी सितंबर तक चुनाव प्रक्रिया पूर्ण हो जानी चाहिए।
वर्ष 2022 से पहले जिन संस्थाओं का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, उनके चुनाव पुराने ओबीसी आरक्षण के आधार पर कराए जाएं।
इस आदेश के बाद राज्य के राजनीतिक माहौल में तेजी आने की संभावना है। यह समाचार जैसे ही पुणे के संभावित उम्मीदवारों तक पहुंचा उन्होंने अपनी मोर्चे बंदी तेज कर दी है।