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पुणे, पिंपरी चिंचवड में म्हाडा के 20 प्रतिशत आरक्षित घरों के वितरण में भ्रष्टाचार

लोक जनशक्ति पार्टी की कार्रवाई की मांग

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पुणे .पुणे, पिंपरी चिंचवड में पुणे गृहनिर्माण व क्षेत्र विकास मंडळ (म्हाडा) के 7 प्रकल्पों की योजनाओं में आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग (EWS) के लिए आरक्षित 20 प्रतिशत घरों के वितरण में भ्रष्टाचार हुआ है, ऐसा आरोप लगाते हुए इस प्रकरण की जांच कर उचित कार्रवाई करने की मांग लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने की है। यह मांग पार्टी ने आज, 12 अप्रैल 2025 को पुणे श्रमिक पत्रकार संघ में आयोजित पत्रकार परिषद में की।

लोक जनशक्ति पार्टी के पुणे शहर अध्यक्ष संजय आल्हाट, विधिक सलाहकार व सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त मिलिंद गायकवाड, के.सी. पवार, राहुल उभे, परमजीत सिंह अरोरा, परबजित सिंह अरोरा, एडवोकेट अमित दरेकर, अभिजीत पाटील व नारायण भिसे ने इस पत्रकार परिषद में जानकारी दी।

इस संबंध में पार्टी ने 11 अप्रैल को म्हाडा के मुख्य अधिकारी को कार्रवाई की मांग करते हुए निवेदन भी सौंपा है।

पार्टी ने पुणे और पिंपरी मनपा क्षेत्र में 7 प्रकल्पों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की है। वर्ष 2020 में एक नियम लाया गया था जिसके अनुसार प्रकल्प स्थल से एक किलोमीटर की दूरी पर EWS वर्ग को 20 प्रतिशत घर देने की अनुमति दी गई थी। लेकिन जांच में यह पाया गया कि जिन स्थानों पर घर दिखाए गए, वहाँ वास्तव में कोई प्रकल्प ही मौजूद नहीं है।

 

नियम के अनुसार, यदि किसी प्रकल्प का क्षेत्रफल एक एकड़ से अधिक है तो डेवलपर को 20 प्रतिशत क्षेत्र के घर म्हाडा को हस्तांतरित करने होते हैं और तभी उसे पूर्णता प्रमाणपत्र (completion certificate) दिया जाना चाहिए। लेकिन इसके विपरीत, इन प्रकल्पों को सभी प्रमाणपत्र दिए गए। म्हाडा की इमारत को दूसरी जगह स्थानांतरित करते समय भ्रष्टाचार हुआ है और EWS वर्ग को उनके घर नहीं मिले हैं।

 

इस भ्रष्टाचार को देखते हुए, मांग की गई है कि विकसक के मूल प्रकल्प के स्थान पर ही दुर्बल घटक वर्ग को घर दिए जाएं। अन्याय करके मूल उद्देश्य को बदनाम न किया जाए। इन 7 प्रकल्पों में कुल मिलाकर 1400 घर दुर्बल घटक को मिलने चाहिए थे, जो नहीं मिले हैं। वे उपलब्ध कराए जाएं।

जिन अधिकारियों ने इस मामले में लापरवाही की है, उन पर कार्रवाई हो, सभी प्रकल्पों की जानकारी वेबसाईट पर दी जाए, आर्थिक गुन्हे शाखा में दर्ज शिकायतों के आधार पर प्रकरण दर्ज किए जाएं, कितने प्रकल्पों को 20 प्रतिशत EWS नियम को नजरअंदाज कर अनुमति दी गई उसकी जानकारी सार्वजनिक हो, और इस पूरी अवधि में कार्यरत अधिकारियों की संपत्ति की जांच कर कठोर कार्रवाई की जाए—ऐसी कई मांगें इस पत्रकार परिषद में की गईं।

 

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