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पुणे में फिर भड़का नामांकरण विवाद! भाजपा विधायक योगेश टिलेकर ने विधान परिषद में उठाया महंमदवाडी का नाम बदलने का मुद्दा

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पुणे। महाराष्ट्र में नामांकरण को लेकर चल रही बहस एक बार फिर तूल पकड़ती नजर आ रही है। पुणे स्टेशन का नाम थोरले बाजीराव पेशवा रखने की भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी की पुरानी मांग पर उठे विवाद की आग अभी शांत भी नहीं हुई थी कि अब पिंपरी-चिंचवड शहर का नाम जिजाऊ नगर करने की मांग ने भी जोर पकड़ा है। इन दोनों मामलों पर विवाद अभी जारी ही है कि भाजपा के विधानपरिषद सदस्य योगेश टिलेकर ने अब पुणे के एक और इलाके का नाम बदलने की मांग करके विवाद को एक नया मोड़ दे दिया है।

महंमदवाडी का नाम बदलकर महादेववाडी करने की मांग

पुणे के हडपसर क्षेत्र में स्थित महंमदवाडी का नाम बदलकर महादेववाडी रखने की मांग भाजपा विधायक योगेश टिलेकर ने विधान परिषद में Point of Information के माध्यम से उठाई। उन्होंने कहा कि यह मांग वहां के ग्रामस्थ वर्ष 1995 से कर रहे हैं। उस वर्ष ग्रामसभा ने एकमत से प्रस्ताव पारित कर नाम परिवर्तन का समर्थन किया था।

1997 में महापालिका में हुआ था समावेश, प्रक्रिया हुई धीमी

1997 में महंमदवाडी का पुणे महानगरपालिका में समावेश हो गया, जिसके बाद नामकरण की प्रक्रिया अटक गई। टिलेकर ने बताया कि नाम बदलने की जिम्मेदारी अब राज्य सरकार की है क्योंकि महापालिका को नामकरण का अधिकार नहीं है। यह प्रस्ताव जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से राज्य सरकार को पहले ही भेजा जा चुका है।

क्षेत्र में नहीं है कोई मुस्लिम परिवार: टिलेकर

योगेश टिलेकर ने दावा किया कि महंमदवाडी में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, इसलिए “महंमदवाडी” नाम वहां की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान से मेल नहीं खाता। उन्होंने कहा कि 30 वर्षों से स्थानीय लोग नाम परिवर्तन की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रही, जिससे लोगों में नाराज़गी है।

शिवसेना का भी समर्थन

भाजपा के साथ-साथ शिवसेना (शिंदे गुट) के पुणे शहर प्रमुख नाना भानगिरे ने भी इस मांग का समर्थन किया है। उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर महंमदवाडी का नाम महादेववाडी रखने की अपील की है।
गौरतलब है कि, नाम बदलने को लेकर एक बार फिर पुणे की सियासत गर्म होती नजर आ रही है। यह मुद्दा केवल एक नामकरण का नहीं, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा हुआ बनता जा रहा है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस मांग को मंजूरी देती है या विवाद और भी गहराता है।

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