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एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय का जी-प्लेस और क्रिस एयरो के साथ करार

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पुणे .एमआईटी आर्ट, डिज़ाइन एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय (एमआईटी एडीटी), पुणे ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए जापान की प्रतिष्ठित कंपनी जी-प्लेस काॅर्पोरेशन और पुणे की क्रिस एयरो सर्विसेज प्रा. लि. के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता किया है। यह समझौता पर्यावरण इंजीनियरिंग क्षेत्र में एक नवाचारी परियोजना को लेकर किया गया है।

इस परियोजना के तहत जी-प्लेस द्वारा विकसित डोमेस्टिक मल्टी-रिसायकलर (DMR) तकनीक जिसे ‘जहकासो’ के नाम से भी जाना जाता है, को भारतीय पर्यावरणीय परिस्थितियों में परीक्षण हेतु एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी के परिसर में स्थापित किया जाएगा।

समझौता समारोह में यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. मंगेश कराड, प्रो-वाइस चांसलर डॉ. रामचंद्र पुजेरी, डीन डॉ. सुदर्शन सानप और एमआईटी एसओईएस के निदेशक डॉ. वीरेंद्र शेटे मौजूद रहे। वहीं, क्रिस एयरो सर्विसेज की ओर से प्रबंध निदेशक श्री दीपक कपाड़िया, उनकी पत्नी और पुत्र श्री राज कपाड़िया ने शिरकत की।

छात्रों को मिलेगा वैश्विक तकनीक के साथ काम करने का मौका

इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य डीएमआर प्रणाली के माध्यम से अपशिष्ट जल के शोधन और उसके कृषि उपयोग की संभावनाओं का परीक्षण करना है। यह प्रणाली बिजली के बिना काम करती है और घरेलू अपशिष्ट जल को उपयोगी पोषक जल में परिवर्तित कर देती है। इसके साथ ही इससे उत्पन्न कीचड़ को जैविक खाद में बदला जा सकता है।

डॉ. मंगेश कराड ने इस अवसर पर कहा, “यह केवल एक तकनीकी साझेदारी नहीं, बल्कि स्वच्छ और सतत भविष्य की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। हमारे छात्रों को अब विश्वस्तरीय तकनीकों से रूबरू होने और उस पर काम करने का अवसर मिलेगा।”

वहीं, क्रिस एयरो के प्रबंध निदेशक दीपक कपाड़िया ने कहा, “यह सहयोग हमारी ‘इनोवेशन विद इम्पैक्ट’ की सोच को दर्शाता है। हमें खुशी है कि हम इस तकनीक को भारत में लाने के लिए जी-प्लेस और एमआईटी एडीटी के साथ साझेदारी कर रहे हैं।”

 

पर्यावरणीय नवाचार को मिलेगा बढ़ावा

पांच दशकों से पर्यावरणीय नवाचार के क्षेत्र में कार्यरत जी-प्लेस काॅर्पोरेशन इस परियोजना के माध्यम से भारत में विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट जल प्रबंधन और जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह साझेदारी भारत में पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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