“कश्मीर में इंसानियत और राष्ट्रवाद अभी भी जिंदा है” – संदीप खर्डेकर
स्थानीय नागरिकों ने मृतकों के परिजनों की हरसंभव सहायता की – डॉ. नासिर, डीएसपी फारुख, पीआई रियाज, और आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवक सलीम मलिक का आभार

कश्मीर में पर्यटन का बहिष्कार करके पाकिस्तान के आतंकवादियों को सफल न होने दें” – संदीप खर्डेकर
पुणे.पहलगाम में हुए नृशंस आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर “कश्मीर में पर्यटक न जाएं”, “काश्मीरियों को सबक सिखाएं” जैसी भावनाएँ उभर रही हैं। इस पर भाजपा प्रवक्ता संदीप खर्डेकर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस प्रकार के बहिष्कार की अपील करना, आतंकवादियों के उद्देश्य को पूरा करने जैसा होगा।
उन्होंने कहा, “यह निर्विवाद है कि यह हमला धर्म पूछकर किया गया और कुछ स्थानीय लोगों की मिलीभगत थी, जो अब सुरक्षा एजेंसियों की कार्यवाही से स्पष्ट हो गया है। लेकिन इस आधार पर पूरे कश्मीर का बहिष्कार करना उचित नहीं। हमें यह याद रखना चाहिए कि कश्मीर में आज भी इंसानियत और राष्ट्रवाद दोनों जीवित हैं।”
इस हमले में पुणे के संतोष जगदाळे की मृत्यु हो गई थी। उनकी बेटी आसावरी ने अद्भुत साहस का परिचय दिया, जिसकी सराहना डीसीपी फारुख ने की। डॉ. नासिर ने तीसरे दिन ही आसावरी और कुणाल गनबोटे से संपर्क कर आधार कार्ड मंगवाया। तब परिवार पूरी तरह सदमे में था और किसी पर विश्वास करना कठिन था। इसलिए असावरी ने मुझे फोन किया और अपना नंबर दिया। मैंने अपनी भतीजी दीपाली भातखंडे, जो श्रीनगर में आर्ट ऑफ लिविंग का कोर्स आयोजित करती हैं, से संपर्क किया और वहां अपने साथी स्वयंसेवक सलीम मलिक से संपर्क कर उनसे वहां के तथ्यों का पता लगाने को कहा। सलीम ने तुरंत पहलगाम जाकर डॉ. नासिर से मिलने की इच्छा जताई और उनकी प्रामाणिकता की गारंटी दी। इसके बाद डॉ. नासिर और उनकी टीम ने ऑनलाइन ही मृत्यु प्रमाण पत्र की पूरी प्रक्रिया पूरी की और नाम में हुई गलतियों को दो-तीन बार सुधारा।
जब मैंने डॉ. नासिर को धन्यवाद देने के लिए फोन किया, तो उन्होंने भावनाएं व्यक्त कीं और मुझे कश्मीर आने और अपने घर पर रहने के लिए आमंत्रित किया।
इसके बाद डॉ. नासिर और उनकी टीम ने मृत्यू प्रमाणपत्र की प्रक्रिया ऑनलाइन पूरी की और नामों की त्रुटियाँ भी सुधार दीं। फोन पर आभार व्यक्त करने पर डॉ. नासिर ने कहा,“यह हमारा कर्तव्य है कि हम हर जरूरतमंद की मदद करें, चाहे वह कोई भी हो। मुझे खुशी है कि आपने हमारी मेहनत को सराहा। यह घटना बहुत दुखद है, लेकिन हम चाहते हैं कि हमारा देश दिन-प्रतिदिन प्रगति करे।”
इसी तरह, डीएसपी फारूक और पुलिस इंस्पेक्टर रियाज ने भी जगदाले और गंबोटे परिवारों से संपर्क किया और उनकी सामग्री कूरियर से भेजी। (इसमें सोने की अंगूठियों सहित सब कुछ था) लेकिन मिस्टर जगदाले का चश्मा और मिस्टर गनबोट के हाथ की कडा गायब थी। इसके बाद उनसे संपर्क करने पर उन्होंने कहा, “हम उन वस्तुओं की खोज करेंगे और हर जगह टीमें भेजेंगे, लेकिन जो हुआ वह दुखद है, और हम अपने परिवार के सदस्यों की तरह सभी वस्तुएं परिवारों को लौटा देंगे।” इस दुःख की घड़ी में कई मदद करने वाले हाथ आगे आए और जो कुछ हुआ उसके प्रति अपना दुख व्यक्त किया तथा इसकी निंदा भी की।
कश्मीर में हमले का उद्देश्य कश्मीरियों को देश की मुख्यधारा से काटना और वहां विकास को विफल करना है। इसलिए, वहां के अच्छे नागरिकों की सहायता के लिए पर्यटन को बिना रोके जारी रखना राष्ट्रीय हित में होगा।
इस पूरे घटनाक्रम में स्थानीय नागरिकों ने भी संवेदना और सहायता का हाथ बढ़ाया। इससे यह स्पष्ट होता है कि कश्मीर को मुख्यधारा से काटने का आतंकवादियों का उद्देश्य सफल नहीं होने देना चाहिए।
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“मेरे अनुभव से कहना चाहूंगा – ‘कश्मीरियत और इंसानियत दोनों अब भी ज़िंदा हैं।’”
– संदीप खर्डेकर