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आईसीएआई ने पहलगाम में मनाया 79वां स्वतंत्रता दिवस एवं आयोजित की 445वीं परिषद् बैठक

जम्मू-कश्मीर के लोगों एवं सशस्त्र बलों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन

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• जम्मू-कश्मीर के माननीय मुख्यमंत्री ने पहलगाम पर भरोसा जताने के लिए आईसीएआई का आभार व्यक्त किया

• त्रासदी के बाद पहलगाम में उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित करने वाला पहला राष्ट्रीय संस्थान

• घाटी के लिए रणनीतिक सहयोग, आर्थिक पुनरुद्धार और शोध-आधारित विकास योजनाओं का प्रस्ताव

पुणे.भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान (आईसीएआई) ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए और सशस्त्र बलों को सम्मानित करते हुए, पहलगाम में 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाया तथा नागरिकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, आईसीएआई ने 12–14 अगस्त के दौरान पहलगाम में अपनी 445वीं परिषद् बैठक का आयोजन किया, जो 22 अप्रैल को बाईसरन की दुखद घटना के बाद घाटी में इतनी उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित करने वाला पहला राष्ट्रीय संस्थान बन गया।

130 से अधिक लोग, जिनमें सदस्य, उनके परिवार और बच्चे शामिल थे, पहलगाम पहुंचे, जो इस क्षेत्र के प्रति आईसीएआई के गहरे विश्वास और घाटी में शांति एवं समृद्धि के विज़न को दर्शाता है। हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद पहलगाम का दौरा करने वाला आईसीएआई पहला संगठन बना, जिसने यह स्पष्ट संदेश दिया कि देश एकजुट, निर्भीक और अडिग है, और यह विश्वास रखता है कि कश्मीर सदैव भारत का अभिन्न अंग रहेगा। इस बड़े प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी ने स्थानीय समुदाय में आशा और उत्साह का संचार किया, जिससे उम्मीद है कि देशभर से लोग बड़ी संख्या में पहलगाम आएंगे और पर्यटन को आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा।

तीन दिवसीय बैठक के दौरान, परिषद् ने पेशे के लिए रणनीतिक महत्व के प्रमुख नीति मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। आईसीएआई ने जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ लागत अनुकूलन, सरकारी विभागों के लिए लेखा-आधारित लेखांकन प्रणाली, विश्वविद्यालयों के लिए पाठ्यक्रम विकास, तथा स्थानीय निकायों के लिए लेखा सुधार जैसे क्षेत्रों में सहयोगात्मक पहल का भी प्रस्ताव रखा।

क्षेत्र के विद्यार्थियों के समर्थन हेतु, आईसीएआई जम्मू-कश्मीर के छात्रों को सीए कोर्स पंजीकरण शुल्क में 75% की छूट प्रदान करता है तथा क्षेत्र में क्षमता निर्माण, शोध और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की भी योजना बना रहा है, जिससे जम्मू-कश्मीर में विकास को गति मिलेगी।

जम्मू-कश्मीर के माननीय मुख्यमंत्री श्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम में आयोजित परिषद् बैठक की शोभा बढ़ाई और इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए पहलगाम को चुनने हेतु आईसीएआई का हार्दिक धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, “आपकी उपस्थिति यहां एक सशक्त संदेश देती है—आत्मविश्वास और समर्थन का। यह इस स्थान में आपके विश्वास को दर्शाती है और हमारे लोगों को यह भरोसा दिलाती है कि बेहतर दिन अवश्य आएंगे। सर्दी सदा के लिए नहीं रहती; वसंत अवश्य आता है।” मुख्यमंत्री ने राज्य में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने, शासन में सुधार लाने और आर्थिक नियोजन को सुदृढ़ करने में आईसीएआई की संभावनाओं की भी सराहना की।

आईसीएआई के अध्यक्ष सीए. चरणजोत सिंह नंदा ने कहा, “हमारी उपस्थिति मात्र प्रतीकात्मक नहीं है; यह आशा, दृढ़ता और स्थायी शांति एवं साझा समृद्धि के लिए हमारे संकल्प का प्रमाण है। हम केवल वित्तीय ढांचे के निर्माता नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के सहभागी हैं। इस दौरे के माध्यम से हम आर्थिक पुनरुद्धार, जीवंत पर्यटन, और जम्मू-कश्मीर में सार्थक विकासात्मक सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट करते हैं।”

इस अवसर पर, आईसीएआई ने “फ्रॉम पॉलिसी टू प्रॉफिट: लक्षित सरकारी पहलों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में एमएसएमई राजस्व वृद्धि” शीर्षक से एक विस्तृत शोध रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें एमएसएमई को टिकाऊ राजस्व जनरेटर में बदलने हेतु पाँच-स्तंभीय रणनीति का विवरण दिया गया। एक अन्य अध्ययन “होप इन द हिल्स: तुलनात्मक नीतिगत नवाचार के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में एमएसएमई सुदृढ़ीकरण” ने पर्यटन और हस्तशिल्प-आधारित उद्यमों के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से प्रेरित ठोस सिफारिशें प्रदान कीं। आईसीएआई ने क्षेत्र में क्षमता निर्माण, शोध और नीतिगत परामर्श हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की भी घोषणा की।

आईसीएआई के उपाध्यक्ष सीए. प्रसन्न कुमार डी ने कहा, “यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि हम यहां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं और अपनी 445वीं परिषद् बैठक पहलगाम में आयोजित कर रहे हैं। यह घाटी के साथ हमारी एकजुटता, सशस्त्र बलों के प्रति सम्मान और जम्मू-कश्मीर की प्रगति में सार्थक योगदान देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

15 अगस्त को जब राष्ट्रीय गान की गूंज इस मनोरम घाटी में फैली, तब आईसीएआई का संदेश स्पष्ट था—कश्मीर की आत्मा अडिग है और सामान्य स्थिति तथा समृद्धि की ओर यात्रा अटल संकल्प के साथ जारी है।

एक सामाजिक रूप से उत्तरदायी संस्था और राष्ट्र निर्माण में विश्वसनीय भागीदार के रूप में, आईसीएआई—अपने 15 लाख सदस्यों और विद्यार्थियों के परिवार के साथ—हमेशा राष्ट्र की सेवा में अग्रणी रहा है। कोविड-19 राहत के दौरान खाद्य वितरण, प्लाज़्मा दान, टीकाकरण शिविर और ऑक्सीजन आपूर्ति से लेकर, एमएसएमई एवं स्टार्टअप्स को आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के लिए सशक्त बनाने तक, आईसीएआई ने निरंतर योगदान दिया है। सरकार के साथ नीतिगत साझेदारी एवं अधिकारियों के प्रशिक्षण से लेकर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमा क्षेत्रों में सहायता हेतु अपने सदस्यों और विद्यार्थियों को प्रेरित करने तक, आईसीएआई ने हमेशा आगे बढ़कर जिम्मेदारी निभाई है। इसके अतिरिक्त, संस्था वृक्षारोपण अभियानों और सतत विकास साक्षरता पहलों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी प्रतिबद्ध है।

About ICAI

The Institute of Chartered Accountants of India (ICAI) is a statutory body set up by an Act of Parliament under the Chartered Accountants Act, 1949 for the regulation and development of the profession of Chartered Accountancy in India. The Institute functions under the administrative supervision of the Ministry of Corporate Affairs, Government of India. With over 15 Lakh Members and Students, today ICAI is the largest professional accountancy body in the world. ICAI has a wide network of 5 Regional Councils and 182 Branches within India and a global presence with 54 Overseas Chapters and 31 Representative Offices spanning 85 cities across 47 Countries worldwide.

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