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विश्वशांती के लिए इन्सानियत सबसे जरूरी

विश्वशांती दर्शन चॅनल की चौथी वर्षगांठ पर राज्यसभा के पूर्व सदस्य सुनील शास्त्री के विचार

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पुणे, : इन्सानियत को आगे बढाना है तो मानवता सबसे जरूरी है. अगर इन्सानियत नही तो विश्व शांती कहा से आएगी. वर्तमान दौर में हर एक व्यक्ती शांती को भुल गया है. ऐसे समय लाल बहाद्दूर शास्त्री के नाम से जयपूर में विश्वधर्म संग्रहलाय का निर्माण कर विश्वशांती का नारा दिया जाएगा.” ऐसे विचार राज्यसभा के पूर्व सदस्य एवं भारतरत्न लाल बहाद्दुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री ने रखे.
माईर्स एमआईटीकी ओर से सुरू किए गए विश्वशांति दर्शन चॅनल की ४थी वर्षगांठ पर वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
इस मौके पर एड गुरू भरत दाभोळकर और श्रीमती शास्त्री सन्मननीय अतिथि के रूप में उपस्थित थीे. कार्यक्रम की अध्यक्षता माईर्स एमआईटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई.
साथ ही विश्वशांती दर्शन चॅनल के सीईओ डॉ. मुकेश शर्मा और विख्यात कवी डॉ. संजय उपाध्ये उपस्थित थे.
सुनील शास्त्री ने कहा,” जय जवान, जय किसान का नारा देनेवाले भारतरत्न लाल बहाद्दुर शास्त्री ने हर पल देश के भलाई के बारे में ही सोचा. इस नारे के चलते ही संपूर्ण देश एक हुआ. उसी राह पर चलते हुए डॉ. विश्वनाथ कराड ने विश्व शांती को अपने जीवन का लक्ष्य बनाना है. वे विश्वशांती दर्शन चॅनल के माध्यम से शांती का संदेश जन जन पहूंचकर सबके मन में शांती के बीज बोने का काम कर रहे है.”
“विद्यार्थी जीवन का किस्सा बताते हुए सुनील शास्त्री ने कहा कि, बचपन में हमें २१ दिन हमारे पिताजी लाल बहाद्दुर शास्त्री मिले नही थे. तब गुस्से में आकर पिताजी से मैने बात नहीं. उस समय लाल बहाद्दुर शास्त्री ने जवाब में कहा कि बेटा यहां की जनता ने मुझे देश के सबसे बडे औंदे पर बिठा दिया है, इसलिए यह भारत देश मेरा पूरा परिवार है, उसकी देखरेख करना मेरा फर्ज है. इसलिए मैं अपने परिवार के सदस्यों से मिल नहीं पाया. इस वैश्विक विचारधारा को मानले वाले शास्त्री के नक्से कदम पर डॉ. कराड भी चल रहे है.”
स्वागतपर भाषण में डॉ. मुकेश शर्मा ने कहा, वसुधैव कुटुम्ब कम की विचारधारा एव विश्वशांती के सूत्र के आधार पर इस चॅनल की नींव रखी है. इसके जरिए प्रत्येक व्यक्ती को शांती कैसे मिले इस विषय को लेकर लगातार प्रसारण किया जा रहा है.
इसके बाद भारत दाभोळकर ने सवाल जवाब के दरिए अपने विचार रखे. यहां पर डॉ. विश्वनाथ कराड के जीवन कार्य पर फिल्म दिखाई गई.
छात्रा संज्ञा उपाध्ये ने अपनी सुरीले आवाज में कार्यक्रम का प्रस्तूतीकरण उपस्थितों का दिल जित लिया.

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