विद्यार्थियों को पुस्तक से परे शिक्षा दें, असफलता को सफलता की सीढ़ी बनाएं : राज्यपाल हरिभाऊ बागडे
एमआईटी एडीटी’ विश्वविद्यालय का 8वां दीक्षांत समारोह उत्साहपूर्वक संपन्न

पुणे : विद्यार्थी आत्मनिर्भर और विकसित भारत की रीढ़ हैं। उन्हें गुरुकुल पद्धति की तरह समग्र दृष्टिकोण विकसित करने वाली, समाज के प्रति संवेदनशील बनाने वाली, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को संतुलित रखते हुए सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करने वाली, पुस्तक से परे शिक्षा दी जानी चाहिए। क्योंकि शिक्षा का अंतिम उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है; बल्कि अर्जित ज्ञान का उपयोग समाज की उन्नति और देश की प्रगति के लिए करना ही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है।
असफलता अंत नहीं होती, बल्कि नए सफर की शुरुआत होती है। इसलिए असफलता को सफलता की सीढ़ी बनाकर अपने ज्ञान, कर्मठता और संवेदनशीलता के बल पर भारत को विश्व की महाशक्ति बनाएं — ऐसा आह्वान राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने किया।
वे एमआईटी आर्ट, डिज़ाइन एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी (एमआईटी-एडीटी), विश्वराजबाग, पुणे द्वारा आयोजित 8वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के निदेशक प्रो. (डॉ.) लक्ष्मीधर बेहरा, एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष एवं प्र-कुलपति प्रो. (डॉ.) मंगेश तु. कराड, भारत सरकार के तकनीकी, नवाचार, इन्क्यूबेशन एवं उद्यमशीलता क्षेत्र के राष्ट्रीय विशेषज्ञ सलाहकार परिषद के अध्यक्ष श्री रामानन रामनाथन, ‘ग्लास मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से प्रसिद्ध गोल्ड प्लस ग्लास इंडस्ट्रीज के चेयरमैन श्री सुभाष त्यागी, एसएसपीएल समूह की प्रबंध निदेशक तथा राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद (नारेडको) की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती स्मिता पाटिल, कार्यकारी संचालक प्रो. (डॉ.) सुनीता कराड, सौ. ज्योति ढाकणे-कराड, डॉ. विनायक घैसास, कुलगुरु प्रो. (डॉ.) राजेश एस., प्रोवोस्ट डॉ. सायली गणकर, प्र-कुलगुरु डॉ. रामचंद्र पुजेरी, डॉ. मोहित दुबे, कुलसचिव डॉ. महेश चोपडे, परीक्षा नियंत्रक डॉ. ज्ञानदेव नीलवर्ण तथा अन्य मान्यवर उपस्थित थे।
भारतीय परंपरा आनंद को स्वयं में खोजने की सीख देती है — डॉ. लक्ष्मीधर बेहरा
डॉ. बेहरा ने कहा कि भारतीय परंपरा हमें सिखाती है कि सच्चा आनंद अपने भीतर खोजा जाता है। भगवद्गीता भी हमें संतोषपूर्वक जीवन जीना सिखाती है। उन्होंने कहा कि अनुभवाधारित शिक्षा के माध्यम से ही भारत आत्मनिर्भर बन सकता है। श्री रामानन रामनाथन ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भारत द्वारा प्राप्त वैश्विक स्थान तथा भविष्य के अनुसंधान की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को अनुसंधान के प्रति प्रेरित किया।
श्रीमती स्मिता पाटिल ने राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद के कार्यों की जानकारी देते हुए एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों की सराहना की और सभी स्नातक विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
काँच उद्योग में विशाल रोजगार की संभावना — सुभाष त्यागी
श्री सुभाष त्यागी ने कहा, “मैं विद्यार्थी जीवन में अत्यंत मेधावी नहीं था, परंतु मुझमें कठिन परिश्रम करने की अपार इच्छा थी। इसी इच्छाशक्ति के बल पर आज गोल्ड प्लस ग्लास इंडस्ट्रीज की वार्षिक आय 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गई है और 4 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। भारत में प्रतिदिन लगभग 1 लाख टन काँच की आवश्यकता होती है, किंतु उत्पादन मात्र 20 हजार टन का ही होता है। इसलिए काँच उत्पादन क्षेत्र में अनुसंधान एवं रोजगार सृजन की अत्यधिक संभावनाएं हैं।”
उन्होंने कहा कि आज प्राप्त डॉक्टर ऑफ लेटर्स (D.Litt.) की मानद उपाधि ने उनके आत्मविश्वास को और मजबूत किया है।
कोट
“एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय ने सदैव विद्यार्थियों को मूल्य-आधारित शिक्षा प्रदान करते हुए कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्वयं को विभिन्न स्तरों पर सिद्ध किया है। इसी कारण विश्वविद्यालय ने एनएएसी मान्यता, एनआईआरएफ और क्यूएस रैंकिंग में अपनी उल्लेखनीय छाप छोड़ते हुए वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा अर्जित की है। संस्थापक अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) विश्वनाथ डी. कराड के मार्गदर्शन में एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय अब अपनी ‘2.0’ मुहिम के अंतर्गत देश में अग्रणी स्थान प्राप्त कर भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाले विद्यार्थियों को तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। आज डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थी अपने-अपने क्षेत्र में नेतृत्व करें और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दें।”
— प्रा. (डॉ.) मंगेश तु. कराड,
कार्याध्यक्ष एवं प्र-कुलपति,
एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय, पुणे
मानद उपाधि और विशेष सम्मान
एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय की ओर से श्री रामानन रामनाथन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में योगदान के लिए ‘डॉक्टर ऑफ साइंस (D.Sc.)’ की मानद उपाधि प्रदान की गई।
साथ ही ‘ग्लास मैन ऑफ इंडिया’ के रूप में प्रसिद्ध श्री सुभाष त्यागी को औद्योगिक नेतृत्व के लिए ‘डॉक्टर ऑफ लेटर्स (D.Litt.)’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
इसके अतिरिक्त, डॉ. मंगेश कराड को पूर्व छात्र संघ द्वारा ‘उत्कृष्टता के शिल्पकार’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कुल 3,334 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान
राष्ट्रगान और विश्वशांति प्रार्थना के साथ प्रारंभ हुए इस समारोह में 21 पीएच.डी., 21 स्वर्ण पदक और 195 रैंक होल्डर प्रमाणपत्र राज्यपाल हरिभाऊ बागडे के हाथों प्रदान किए गए। साथ ही विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों के हाथों कुल 3,334 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं।
इस कार्यक्रम में देशभर से आए विद्यार्थियों और अभिभावकों सहित 8,000 से अधिक लोगों ने उपस्थिति दर्ज की। राजदंड के साथ निकाली गई आकर्षक शोभायात्रा समारोह का विशेष आकर्षण रही। ‘पसायदान’ के गायन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रोवोस्ट डॉ. सायली गणकर ने किया, जबकि संचालन प्रो. स्नेहा वाघटकर, प्रो. स्वप्निल शिरसाठ और डॉ. अशोक घुगे ने किया।



