संतों के बाल को भी कोई नुकसान नहीं होने देंगे” – उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज की 375वीं बीज (सदेह वैकुंठ गमन) यात्रा का संपन्न

पुणे. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को श्री संत तुकाराम महाराज पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह विशेष पुरस्कार जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज की 375वीं बीज (सदेह वैकुंठ गमन) यात्रा के अवसर पर दिया गया। देहू संस्थान के न्यासियों ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा। इस मौके पर लाखों वारकरी (भक्त) देहू में एकत्र हुए हैं।
शिंदे को तुकोबा की पगड़ी, शॉल, श्रीफल, पुष्पहार, चिपलियां, संत तुकाराम महाराज की प्रतिमा, संत गाथा और सम्मान पत्र भेंट किया गया। यह पुरस्कार उन्हें ‘निर्मल वारी, हरित वारी’ संकल्पना में उनके विशेष योगदान और वारकरी सेवा-सुविधाओं में किए गए कार्यों के लिए दिया गया। पालखी यात्रा के दौरान दिंडियों (भक्त समूहों) के लिए आर्थिक सहायता, स्वच्छता अभियानों और अन्य सेवाओं में उनके प्रयासों की सराहना की गई। इससे पहले यह सम्मान 25 साल पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार को दिया गया था।
“संतों का सम्मान और नदियों की शुद्धता हमारी प्राथमिकता”
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, “महाराष्ट्र संतों और वीरों की भूमि है। संतों के बाल को भी कोई नुकसान नहीं होने देंगे, यह मेरा वचन है। धर्म की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, और नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाना हमारा कार्य है।” उन्होंने कहा कि इंद्रायणी, चंद्रभागा और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों की स्थिति चिंताजनक है, इसलिए जनता को नदियों को स्वच्छ और आदर्श बनाने के लिए एक आंदोलन खड़ा करना होगा।
“छत्रपति शिवाजी महाराज को तुकाराम जी का आशीर्वाद प्राप्त था”
एकनाथ शिंदे ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज को संत तुकाराम महाराज का मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त था। छत्रपति स्वयं देहू आकर संत तुकाराम महाराज से मिले थे। उन्होंने कहा कि संत तुकाराम की रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं और आने वाले 3,375 वर्षों तक भी उनका महत्व कम नहीं होगा। उन्होंने चार सौ साल पहले कठिन दार्शनिक विषयों को सरल मराठी भाषा में प्रस्तुत किया था, यही मराठी की अभिजातता को दर्शाता है।
शिंदे ने आगे कहा, “वारकरी समाज एक सच्चा समाज सुधारक है। जब यह समाज किसी संकल्प को मन से अपनाता है, तो वह पूरा होकर रहता है।” उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सब उनका कर्तव्य था और वारकरी समाज से बड़ा कोई नहीं हो सकता।
आज संत तुकाराम महाराज के 375वें सदेह वैकुंठ गमन दिवस के अवसर पर दोपहर 12 बजे विशेष कीर्तन के बाद नांदूरकी के वृक्ष पर पुष्प अर्पण करके यह आयोजन संपन्न किया गया।