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टिजीएच-ऑन्कोलाईफ कैंसर सेंटर में एआय सिंक्रोनाइजेशन तकनीकद्वारा फेफडे और प्रोस्टेट कैंसर से पिडित मरीजों पर सफल इलाज

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महाराष्ट्र में पहली बार

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीकद्वारा फेफडेलीवरगैंस्ट्रोइंटेस्टाइनल और प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों का इलाज संभव

पुणे – फेफडे के कार्सिनोमा से पिडित ७० वर्षीय व्यक्ती और प्रोस्टेट कैंसर से पीडित ६२ वर्षीय व्यक्ती पर पुणे के तलेगाव स्थित ऑन्कोलाईफ कैंसर में सफलतापूर्वक इलाज किया गया हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिंक्रोनाइजेशन तकनीकद्वारा फेफडे और प्रोस्टेट कैंसर का डॉक्टरों ने इलाज किया हैं। महाराष्ट्र में पहली बार अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके कैंसर का सटीक इलाज किया हैं। इस वार्तालाप मे डॉ अभिषेक पुरकायस्थ, डाँ.ज्योती मेहता, डाँ.संतोष साहू औऱ रूग्ण अनंतराव रायकर मौजूद थे.

पुणे के तलेगाव निवासी ७० वर्षीय अनंतराव रायकर को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। सीटी स्कैन और पेट स्कॅन में बाएं तरफ के फेफडे का द्रव्यमान दिखाई दिया। फेफडे की थोरैकोस्कोपिक बायोप्सी करने से पता चला की मरीज को फेफडे का कार्सिनोमा था। मरीज को तुरंत पँलेटीव्ह किमोथेरपी और टारगेटेड थेरपी दी गई पर उसक कुछ असर दिखा नही।

अन्य एक मामले में सोलापूर के ६२ वर्षीय मरीज को पिछले १ महिन से निचले मूत्र पथ के लक्षण थे। वैद्यकीय जांच में मरीज को प्रोस्टेट कैंसर का पता चला। आमतौर पर ६५ वर्ष से अधिक उम्र के पुरूषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा रहता हैं। लेकिन शहरों में रहने वाले 35-44 और 55-64 आयु वर्ग के युवा पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर की संख्या बढ रही हैं। दोनों मरीजों का अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके इलाज किया गया हैं और अब दोनो मरीज बिलकुल तंदूरूस्त है औऱ ठीक है।

टीजीएच ओन्को-लाइफ कैंसर सेंटर के टोमोथेरेपी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के कंसल्टेंटडॉ अभिषेक पुरकायस्थ ने कहा, “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित सिंक्रोनी ऑटोमैटिक, रियल-टाइम मोशन सिंक्रोनाइज़ेशन तकनीक वाला अभिनव रेडिक्सैक्ट सिस्टम फेफड़े, लीवर, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और प्रोस्टेट कैंसर जैसे विभिन्न अत्यधिक मोबाइल कैंसर के इलाज के लिए एक सटीक और सुरक्षित विकल्प है। एक तरफ एक एक्स-रे पैनल स्थित है और सिस्टम के दूसरी तरफ एक डिटेक्टर है। यह प्रणाली रेडियोथेरेपी का एक अभिन्न अंग है और सिंक्रोनी रेस्पिरेटरी कैमरा एरे की मदद से वास्तविक समय में ट्यूमर के स्थान को ट्रैक करता है। दैनिक सेट-अप प्रक्रियाओं के आधार पर उपचार १० से १५ मिनट में किया जाता है।

डॉ. अभिषेक ने आगे कहॉं की, “मरीज ने हृदय संबंधी अतालता, न्यूमोनाइटिस और पसलियों में दर्द जैसे किसी भी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव का अनुभव किए बिना उपचार को बहुत अच्छी तरह से सहन किया। मरीज नियमित रूप से फॉलो-अप के लिए आ रहे हैं। उसे किसी भी तरह के तम्बाकू धूम्रपान और शराब के सेवन से परहेज करने, उच्च प्रोटीन आहार लेने और बिना किसी अनावश्यक तनाव के दैनिक हल्के दिनचर्या के काम जारी रखने की सलाह दी गई है। दोनो मरीजों का समय रहते इलाज नही किया जाता तो बिमारी बढ सकती थी, जिससे उसका इलाज संभव नही होता।”

टीजीएच ऑन्को लाइफ कैंसर सेंटर के एमडी रेडिएशन और क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. ज्योती मेहता ने कहॉं की, यह तकनीक प्रोस्टेट की गति को सिंक्रोनाइज़ करती है, जो सांस लेने या मल त्याग जैसी प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण विकिरण किरण के साथ बदल सकती है। इसका लक्ष्य पूरे उपचार सत्र के दौरान सटीक लक्ष्य बनाए रखना है, जिससे आसपास के स्वस्थ ऊतकों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। इस सर्जरी के मरीज जल्दी ठिक होता हैं।

ऑन्को-लाइफ के निदेशक और एमडी रेडिएशन ऑन्कोलॉजी रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के डॉ. गौरव जसवाल ने कहॉं की, कैंसर मरीज को ठिक करने के लिए ऑन्को-लाइफ सेंटर जाना जाता हैं। पहली बार, केंद्र ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सिंक्रोनी सिस्टम का उपयोग किया, जिसने कैंसर के इलाज के तरीके में क्रांति ला दी। यह उन्नत तकनीक प्रत्येक रोगी की ज़रूरतों के अनुरूप सटीक और अनुकूलित उपचार योजनाओं की अनुमति देती है। अस्पताल ने इस नई तकनीक के लिए AERB से अपेक्षित लाइसेंस प्राप्त किया है।

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