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दूध में मिलावट रोकने के लिए पुणे में जिला स्तरीय समिति गठित, नागरिकों से जानकारी देने की अपील

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पुणे। जिले में दूध में मिलावट पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के निर्देशानुसार अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति में अपर पुलिस अधीक्षक, सहायक आयुक्त (अन्न) – अन्न व औषधि प्रशासन विभाग, जिला पशुपालन उपायुक्त, उप नियंत्रक वैध मापन शास्त्र पुणे को सदस्य तथा जिला दुग्ध व्यवसाय विकास अधिकारी को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है।

समिति ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से नागरिकों से अपील की है कि वे दूध में मिलावट करने वाले व्यक्तियों व डेयरियों की जानकारी प्रदान करें। दूध हमारे दैनिक आहार का एक आवश्यक हिस्सा है जो पोषक तत्वों का मुख्य स्रोत है, लेकिन इसमें हानिकारक पदार्थों की मिलावट से उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होता है। पानी, मिल्क पाउडर, वनस्पति तेल, स्टार्च, यूरिया, डिटर्जेंट्स आदि सामान्य रूप से मिलावट में उपयोग किए जाते हैं, जो पाचन, एलर्जी और अंगों की क्षति जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

समिति ने बताया कि पुणे जिले में और बाहर से आने वाले दूध के नमूनों की हर महीने जांच की जाएगी। सहकारी व निजी डेयरियों के दूध नमूने भी नियमित रूप से जांचे जाएंगे। मिलावट पाए जाने पर संबंधित डेयरी या व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

दूध में मिलावट की जानकारी देने के लिए नागरिक टोल फ्री नंबर 1800222365 पर कॉल कर सकते हैं या ईमेल FDAPUNE2019@GMAIL.COM पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। समिति ने आश्वासन दिया है कि शिकायत करने वाले की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी।

‘दिशा कृषि उन्नति की – 2029’ कार्यक्रम कृषि क्षेत्र को देगा नई दिशा: उपमुख्यमंत्री अजित पवार

पुणे। कृषि में आधुनिक तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु “दिशा कृषि उन्नति की – 2029” नामक पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की गई है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन उपमुख्यमंत्री एवं पुणे के पालक मंत्री अजित पवार के हाथों गणेश कला क्रीड़ा मंच पर हुआ।

इस अवसर पर कृषि मंत्री एड. माणिकराव कोकाटे, विधायक बापूसाहेब पठारे, कृषि विभाग के प्रधान सचिव विकास चंद्र रस्तोगी, कृषि आयुक्त सूरज मांढरे सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि योजना का उद्देश्य केवल आंकड़ों पर ध्यान देना नहीं, बल्कि स्थानीय कृषि की ताकत और चुनौतियों को समझकर व्यावहारिक समाधान देना है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इस योजना के लिए पहले दो वर्षों हेतु 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि जलविद्युत परियोजनाओं के पानी को अब पीने योग्य पानी के लिए उपयोग किया जाना चाहिए, जिससे अन्य प्रोजेक्ट्स का पानी खेती के लिए बचाया जा सके। साथ ही, पुणे में शुरू किया गया “एग्री हैकथॉन” राज्यभर में लागू किया जाएगा, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट, पाणी फाउंडेशन आदि संस्थाएं सहभागी होंगी।

कृषि मंत्री एड. कोकाटे ने कहा कि राज्य में नया कृषि नीति निर्माण की प्रक्रिया में सभी वर्गों के किसानों से संवाद हो रहा है और प्रयास है कि किसानों के ज्ञान और तकनीक को अन्य किसानों तक पहुंचाया जाए। कृषि निर्यात को ₹1,500 करोड़ से बढ़ाकर ₹50,000 करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य भी रखा गया है।

कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों और कृषि विभाग के उत्कृष्ट कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। ‘कृषि संवाद – पुणे जिला’ व्हॉट्सऐप चैनल के QR कोड का लोकार्पण भी हुआ। साथ ही ‘सेवादूत’ ऐप और प्रणाली का उद्घाटन किया गया, जिससे राजस्व सेवाएं घर बैठे मिल सकेंगी।

कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालयों के छात्र, अनुसंधानकर्ता, तकनीशियन, किसान उत्पादक संगठन के सदस्य व उद्योग जगत के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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