
पुणे: “पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करने में कर सलाहकारों और चार्टर्ड एकाउंटेंट सहित करदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। उचित कर संग्रह और प्रबंधन और पारदर्शी अर्थव्यवस्था के लिए, वित्तीय पेशेवरों को वित्तीय कानूनों में नए बदलाव, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, चैट जीपीटी जैसी उन्नत तकनीकें और नए कौशल हासिल करने चाहिए,” ऐसा प्रतिपादन केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अपीलीय प्राधिकरण के सदस्य सीएमए बी एम.शर्मा ने किया।
महाराष्ट्र टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (एमटीपीए) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कर सम्मेलन ‘अमृत ज्ञान कुंभ 2025’ के उद्घाटन के अवसर पर वे बोल रहे थे। गणेशखिंड रोड पर कॉसमॉस टॉवर स्थित सहकार भवन में यह सम्मेलन संपन्न हो रहा है. ‘कर सलाहकार: पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का आधार’ यह कर सम्मेलन का विषय है। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ टैक्स प्रैक्टिशनर्स (एआईएफटीपी), जीएसटी प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र और नॉर्थ महाराष्ट्र टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (एनएमटीपीए) के सहयोग से यह सम्मेलन हो रहा है।
इस अवसर पर एआईएफटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऍड. समीर जानी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इसके अलावा, राष्ट्रीय कर परिषद के अध्यक्ष, ऍड. नरेंद्र सोनावणे और एमटीपीए के अध्यक्ष ऍड. प्रसाद देशपांडे, उपाध्यक्ष श्रीपाद बेदरकर, वरिष्ठ कर सलाहकार ऍड. निकिता बधेका, ऍड. दीपक गोडसे, ऍड. विनायक पाटकर, ऍड. नारायण जैन, ऍड. संतोष गुप्ता, ऍड. भास्कर पटेल, ऍड. नितिन गौतम, एमटीपीए के उपाध्यक्ष, ऍड. अनुरुद्र चव्हाण आदी उपस्थित थे। इस अवसर पर विशेष स्मारिकाएं, एमटीपीए टैक्स ट्रिब्यून और प्रकाश पटवर्धन द्वारा लिखित जीएसटी (तृतीय संस्करण) का विमोचन गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया गया। ‘एआईएफटीपी’ की नई वेबसाइट का भी अनावरण किया गया। ऍड. दीपक गोडसे ने ‘एमटीपीए’ को पांच लाख का चेक दान के रूप में सौंपा।
सीएमए बी.एम. शर्मा ने कहा, “परिवर्तन हर क्षेत्र की स्थाई प्रक्रिया है। परिवर्तन के अवसर मानकर आगे बढ़ना ही हमारा काम है। इस कर सम्मेलन के अवसर पर जिन विषयों पर चर्चा होगी, वे सभी महत्वपूर्ण हैं। ज्ञान के संरक्षण, संवर्धन और आदान-प्रदान से यह संभव है। तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। इसमें क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहे हैं। कानूनों में लगातार सुधार हो रहा है। इन सभी चीजों को हमें सीखने की जरूरत है। खुद को अपडेट रखना जरूरी है।”
समीर जानी ने कहा, “अपने व्यावसायिक संगठन की आधिकारिक सदस्यता स्वीकार करते हुए संगठन की नियमित पत्रिका की सदस्यता नियमित रखने का पालन सभी सदस्यों को करना चाहिए। यह पत्रिका नियमित रूप से कर प्रणाली से संबंधित नवीनतम विकास और परिवर्तनों पर टिप्पणी करती है। इसे पढ़कर सदस्य खुद को अपडेट रख सकते हैं। अपने व्यावसायिक जगत से संबंधित परिवर्तनों का सकारात्मक दृष्टिकोण से सामना करें। नए व्यावसायिक रुझानों को सीखते रहें। नई तकनीकों को आत्मसात करें। युवा पेशेवरों के बीच नए कौशल और नवाचारों को कैसे प्रशिक्षित किया जाएगा, इस पर भी ध्यान देना आवश्यक है।”
ऍड. नरेंद्र सोनवणे ने अपने परिचय में कर परिषद की अवधारणा को समझाया। ज्ञान ही सत्य है और सेवा ही कर्तव्य है, इस भावना से इस सम्मेलन में ज्ञान का आदान-प्रदान हो यह आयोजन के पीछे की भूमिका है। सम्मेलन को चार महत्वपूर्ण संगठनों का सहयोग प्राप्त हुआ है, ऐसी जानकारी उन्होंने दी।
प्रसाद देशपांडे, भास्कर पटेल, संतोष गुप्ता, सचिन गांधी, महेश माडखोलकर, नितिन डोंगरे, विनायक पाटकर, दीपक गोडसे, निकिता बढेका ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन प्रणव शेठ ने किया। श्रीपाद बेदरकर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।