“सीडबॉल”: पर्यावरण बचाने की एक प्रेरणादायक कहानी

मुंबई – जंगलों की कटाई, मौसम में बदलाव और वन्यजीवों की कमी जैसी गंभीर समस्याओं पर ध्यान दिलाने वाली मराठी फिल्म ‘सीडबॉल’ की आखिरी शूटिंग हाल ही में कोकण के कुंभारखाणी बुद्रुक गांव में पूरी हुई। यह फिल्म साज एंटरटेनमेंट द्वारा बनाई जा रही है और क्रीपक्यू प्रेज़ेंट्स के साथ मिलकर बनाई गई है। इस फिल्म की कहानी गांव के पवित्र जंगल को बचाने के लिए बच्चों द्वारा किए गए संघर्ष पर आधारित है। “पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ” का संदेश देने वाली यह फिल्म 10 लाख पेड़ लगाने और 1 करोड़ सीडबॉल फेंकने जैसे कामों को दिखाती है।
इस फिल्म में कमलेश सावंत, अवनी चव्हाण, सोनिया संजय, रुद्र पुणवत, चित्रा देशमुख, और विकास थोरात जैसे अच्छे कलाकारों ने काम किया है। साथ ही बाल कलाकार सलोनी बाळगुडे, अथर्व सुर्वे, ऋग्वेद सुतार, और विघ्नेश डांगे ने भी अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया है। यह कहानी और इसके किरदार प्रकृति से प्यार, मेहनत और समाज के प्रति ज़िम्मेदारी को दिखाते हैं।
इस फिल्म को अखिल देसाई ने लिखा, निर्देशित और बनाया है। कैमरा संभाला है अजित सिंह ने, संगीत दिया है एलेन केपी ने, नृत्य निर्देशन सुदामा का है, कला निर्देशक प्रमोद हैं, कपड़े डिज़ाइन किए हैं गौरी गावंकर ने। सहायक निर्देशक हैं रुत्वी पगार, प्रमोद और कोमल। फिल्म के सह-निर्माता ज्योति बडेकर और अनिल देवळेकर ने इस विचार को पूरा करने में पूरा साथ दिया है।
‘सीडबॉल’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि पर्यावरण को बचाने के लिए की गई एक कोशिश है। यह फिल्म हमें बताती है कि हमें अपने प्राकृतिक साधनों की रक्षा करनी चाहिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए हरियाली से भरा भविष्य बनाना चाहिए।
“बीज बोओ, जीवन उगाओ” – इसी अच्छे संदेश के साथ ‘सीडबॉल’ लोगों के दिलों में एक नई सोच पैदा करता है।