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पुणे में अवैध होर्डिंग्स पर जनता का फूटा गुस्सा! प्रशासन बना मूकदर्शक – फिर किसी जान जाने का इंतजार?

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पुणे.शहर भर में सड़कों पर अवैध होर्डिंग्स का अतिक्रमण साफ नजर आ रहा है, लेकिन पुणे महानगरपालिका की नजरें इन पर नहीं पड़ रहीं। नागरिकों ने आरोप लगाया है कि आर्थिक स्वार्थ और भ्रष्टाचार के कारण प्रशासन इन बेकायदा (अवैध) होर्डिंग्स पर जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है। जब तक कोई जान नहीं जाती, तब तक प्रशासन हरकत में नहीं आता – इस तीव्र नाराजगी के स्वर अब खुलेआम उठ रहे हैं।

आंधे’ साबित हो रहे महापालिका के विभाग

बरसात का मौसम शुरू हो चुका है, जिससे इन जर्जर होर्डिंग्स के गिरने का खतरा और भी बढ़ गया है। बावजूद इसके, महापालिका का ‘आकाशचिन्ह आणि परवाना विभाग’ (स्काईसाइन और परमिट विभाग) निष्क्रिय है। विभाग ने सिर्फ 20 होर्डिंग्स को अवैध बताकर खानापूर्ति की थी। लेकिन जब यह मुद्दा मीडिया में उठा, तब महज 11 होर्डिंग हटाए गए। उसके बाद फिर वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति बन गई।

 

नागरिकों का आक्रोश और खुलकर आरोप

भूषण गोरे: “अवैध होर्डिंग्स पर हमेशा जानबूझकर आंखें मूंदी जाती हैं। पैसा मिलने के चलते सब कुछ नजरअंदाज किया जाता है।”

 

राजेश बेल्हेकर: “शहर में ‘होर्डिंग माफिया’ सक्रिय हैं और अधिकारियों की मिलीभगत से काम कर रहे हैं।”

 

किरण गुळुंबे: “दिखावटी कार्रवाई होती है लेकिन होर्डिंग का ढांचा जस का तस रखा जाता है, दोबारा उसी जगह फ्लेक्स टांग दिए जाते हैं।”

 

श्रीपाद शिंगवेकर: “सिंहगड रोड और दांडेकर पुल के पास होर्डिंग और अतिक्रमण के कारण सड़कें संकरी हो गई हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती।”

 

महेश भोसले: “पहले भी होर्डिंग गिरने से मौतें हो चुकी हैं। फिर भी प्रशासन सोया हुआ है। अब क्या जनता को खुद जाकर होर्डिंग्स दिखाने होंगे?”

 

 

दुर्घटनाओं को आमंत्रण

 

बाणेर के कळमकर चौक, सिंहगड रोड, और दांडेकर पुल जैसे इलाकों में होर्डिंग्स की हालत बेहद खतरनाक है। फटे हुए फ्लेक्स सड़कों पर उड़ रहे हैं और ट्रैफिक में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। कई जगह तो लोहे के ढांचे से कभी भी गंभीर हादसे हो सकते हैं, परंतु संबंधित विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा।

 

नागरिकों की पहल और मांग

 

अब नागरिकों ने खुद ही अवैध होर्डिंग्स की तस्वीरें खींचकर महापालिका और मीडिया को भेजने का निर्णय लिया है। साथ ही, वे यह मांग कर रहे हैं कि जिन अधिकारियों की लापरवाही से यह संकट बना हुआ है, उन पर ₹21,000 का जुर्माना लगाया जाए।

 

 

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