दूसरी मंजिल से गिरने के बाद भी बच्ची को मिला नया जीवन
अंकुरा हॉस्पिटल फॉर विमेन एंड चिल्ड्रन की सफलता

समय पर इलाज करने के कारण बच्ची की जान बची
पुणे – घर के दूसरी मंजिल से नीचे गिरी ३ साल की बच्ची की जान बचाने में पुणे स्थित अंकुरा अस्पताल के डॉक्टरों को सफलता हासिल हुई हैं। जब बच्ची बालकनी से गिरी तब उसके माता-पिता उसके नजदीक नहीं थे। गिरने के कारण उसके सिर पर सूजन आई थी। लेकिन समय पर बच्ची को अस्पताल लाने के कारण उसपर तुरंत इलाज शुरू हुआ। अंकुरा अस्पताल के पीआईसीयू और इमरजेंसी सर्विसेज प्रमुख डॉ. मिलिंद जंबगी, पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शिजी चालिपाट और न्यूरोसर्जन डॉ.अभिजीत घंगाळे ने मिलकर बच्ची का इलाज किया । समय पर इलाज करने के कारण बच्ची को नई जिंदगी मिली हैं।
बच्ची गायत्री सुर्यवंशी नितीन और अंजली सुर्यवंशी की इकलौती संतान हैं। वह पुणे के मोशी इलाके में अपने घर की बालकनी में खेल रही थी, जब वह नीचे गिर गई। पड़ोसियों ने उसे बेहोश पाया और उसके सिर पर सूजन थी। माता-पिता उसे पहले पास के अस्पताल ले गए, जहां से उसे गंभीर हालत में अंकुरा हॉस्पिटल लाया गया। डॉ. मिलिंद जंबगी की टीम एक खास बच्चों की एम्बुलेंस लेकर तुरंत पहुंची और बच्ची को सुरक्षित अंकूरा अस्पताल लाया गया। यहां जांच में पता चला कि उसकी खोपड़ी की हड्डी टूटी है, लेकिन शुरू में दिमाग पर ज्यादा दबाव नहीं था। बच्ची को बच्चों के आईसीयू में भर्ती किया गया। सर्जरी से पहले आईसीयू में बच्ची को २४ घंटे निगरानी में रखा गया था। कुछ घंटे बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी और उसकी आंखों की पुतलियों में फर्क दिखने लगा, जिससे दिमाग में दबाव बढ़ने का संकेत मिला। तुरंत डॉ. अभिजीत घंगाळे ने ऑपरेशन कर दिमाग में जमे खून को निकाला और दबाव को कम किया। यह ऑपरेशन समय पर हुआ, जिससे उसकी जान बच गई।
पुणे स्थित अंकुरा हॉस्पिटल फॉर विमेन एंड चिल्ड्रन के पीडियाट्रिक इंटेंसिविस्ट और हेड ऑफ PICU एंड इमरजेंसी सर्विसेस, डॉ. मिलिंद जंबगी* ने कहॉं की, “”जब बच्चों को सिर पर गंभीर चोट लगती है, तब हर मिनट बहुत जरूरी होता है। अगर इलाज में देर हो जाए, तो बच्चे के दिमाग को ऐसा नुकसान हो सकता है जो ठीक नहीं होता – इससे बच्चा सोचने, चलने या ज़िंदा रहने की ताकत भी खो सकता है। अंकुरा अस्पताल में हम बच्चों को सबसे अच्छा इलाज देने की कोशिश करते हैं। हमारे यहां खास मशीनें और बच्चों के लिए अलग आयसीयू है, जिससे हम उनके स्वास्थ्य और पूरी हालत की निरंतर निगरानी कर सकते हैं और जरूरत पड़ते ही तुरंत इलाज कर सकते हैं,”
पुणे स्थित अंकुरा हॉस्पिटल फॉर विमेन एंड चिल्ड्रन के कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ. अभिजीत घंगाळे ने कहा की, “इस बच्ची के दिमाग की हालत तेजी से बिगड़ रही थी और हमें समझ आ गया था कि समय बहुत कम है। उसके सीटी स्कैन में साफ दिख रहा था कि तुरंत ऑपरेशन करना जरूरी है। हमने इमरजेंसी सर्जरी की, जिसमें उसके दिमाग में जमे खून के गुठलियों को निकाला और अंदर बढ़ रहा दबाव कम किया। यह ऑपरेशन करीब एक घंटे चला, जिसमें खोपड़ी को खोलकर वह दबाव हटाया गया जो दिमाग को दबाकर जान को खतरे में डाल सकता था। अच्छी बात ये रही कि ऑपरेशन ठीक से हुआ और बच्ची का दिमाग भी ठीक तरह से जवाब दे रहा है। अब वह धीरे-धीरे ठीक हो रही है और घर पर इलाज चल रहा है।”
पुणे स्थित अंकुरा हॉस्पिटल फॉर विमेन एंड चिल्ड्रन के पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शिजी चालिपाट ने कहा, “मैं सब माता-पिताओं से कहना चाहती हूं कि अगर आपका बच्चा कहीं गिर जाए और उसके बाद उसे बहुत नींद आए, सिर में दर्द हो, उल्टी हो, कहीं से खून बहे या दौरा (झटका) पड़े, तो इसे कभी नजरअंदाज न करें। ये खतरे के संकेत हो सकते हैं। सही समय पर इलाज मिलने से बच्चे की जान बच सकती है और उसे आगे की परेशानी से बचाया जा सकता है। और सबसे जरूरी – छोटे बच्चों को कभी भी बालकनी या खुले जगह पर अकेला न छोड़ें। ऐसे हादसों से बचाव ही बच्चों की सुरक्षा का सबसे पहला कदम है।”
बच्ची के माता–पिता ने कहा,“जब हमने उसे बेहोश उस हालत में देखा तो हम डर से कांप उठे। अस्पताल ले जाने तक का समय जैसे एक बुरे सपने जैसा था। जब डॉक्टरों ने कहा कि ऑपरेशन करना होगा, तो हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई। लेकिन अंकुरा अस्पताल की टीम ने बहुत जल्दी और अच्छे से इलाज किया। आज जब वह हमारे पास घर पर है, तो लगता है हमें दूसरा जीवन मिला है। हम हमेशा डॉक्टरों के शुक्रगुजार रहेंगे। कोई भी मां-बाप ऐसा दर्द न झेले, हम यही दुआ करते हैं।”
समय पर इलाज करने के कारण बच्ची की जान बची
पुणे – घर के दूसरी मंजिल से नीचे गिरी ३ साल की बच्ची की जान बचाने में पुणे स्थित अंकुरा अस्पताल के डॉक्टरों को सफलता हासिल हुई हैं। जब बच्ची बालकनी से गिरी तब उसके माता-पिता उसके नजदीक नहीं थे। गिरने के कारण उसके सिर पर सूजन आई थी। लेकिन समय पर बच्ची को अस्पताल लाने के कारण उसपर तुरंत इलाज शुरू हुआ। अंकुरा अस्पताल के पीआईसीयू और इमरजेंसी सर्विसेज प्रमुख डॉ. मिलिंद जंबगी, पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शिजी चालिपाट और न्यूरोसर्जन डॉ.अभिजीत घंगाळे ने मिलकर बच्ची का इलाज किया । समय पर इलाज करने के कारण बच्ची को नई जिंदगी मिली हैं।
बच्ची गायत्री सुर्यवंशी नितीन और अंजली सुर्यवंशी की इकलौती संतान हैं। वह पुणे के मोशी इलाके में अपने घर की बालकनी में खेल रही थी, जब वह नीचे गिर गई। पड़ोसियों ने उसे बेहोश पाया और उसके सिर पर सूजन थी। माता-पिता उसे पहले पास के अस्पताल ले गए, जहां से उसे गंभीर हालत में अंकुरा हॉस्पिटल लाया गया। डॉ. मिलिंद जंबगी की टीम एक खास बच्चों की एम्बुलेंस लेकर तुरंत पहुंची और बच्ची को सुरक्षित अंकूरा अस्पताल लाया गया। यहां जांच में पता चला कि उसकी खोपड़ी की हड्डी टूटी है, लेकिन शुरू में दिमाग पर ज्यादा दबाव नहीं था। बच्ची को बच्चों के आईसीयू में भर्ती किया गया। सर्जरी से पहले आईसीयू में बच्ची को २४ घंटे निगरानी में रखा गया था। कुछ घंटे बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी और उसकी आंखों की पुतलियों में फर्क दिखने लगा, जिससे दिमाग में दबाव बढ़ने का संकेत मिला। तुरंत डॉ. अभिजीत घंगाळे ने ऑपरेशन कर दिमाग में जमे खून को निकाला और दबाव को कम किया। यह ऑपरेशन समय पर हुआ, जिससे उसकी जान बच गई।
पुणे स्थित अंकुरा हॉस्पिटल फॉर विमेन एंड चिल्ड्रन के पीडियाट्रिक इंटेंसिविस्ट और हेड ऑफ PICU एंड इमरजेंसी सर्विसेस, डॉ. मिलिंद जंबगी* ने कहॉं की, “”जब बच्चों को सिर पर गंभीर चोट लगती है, तब हर मिनट बहुत जरूरी होता है। अगर इलाज में देर हो जाए, तो बच्चे के दिमाग को ऐसा नुकसान हो सकता है जो ठीक नहीं होता – इससे बच्चा सोचने, चलने या ज़िंदा रहने की ताकत भी खो सकता है। अंकुरा अस्पताल में हम बच्चों को सबसे अच्छा इलाज देने की कोशिश करते हैं। हमारे यहां खास मशीनें और बच्चों के लिए अलग आयसीयू है, जिससे हम उनके स्वास्थ्य और पूरी हालत की निरंतर निगरानी कर सकते हैं और जरूरत पड़ते ही तुरंत इलाज कर सकते हैं,”
पुणे स्थित अंकुरा हॉस्पिटल फॉर विमेन एंड चिल्ड्रन के कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ. अभिजीत घंगाळे ने कहा की, “इस बच्ची के दिमाग की हालत तेजी से बिगड़ रही थी और हमें समझ आ गया था कि समय बहुत कम है। उसके सीटी स्कैन में साफ दिख रहा था कि तुरंत ऑपरेशन करना जरूरी है। हमने इमरजेंसी सर्जरी की, जिसमें उसके दिमाग में जमे खून के गुठलियों को निकाला और अंदर बढ़ रहा दबाव कम किया। यह ऑपरेशन करीब एक घंटे चला, जिसमें खोपड़ी को खोलकर वह दबाव हटाया गया जो दिमाग को दबाकर जान को खतरे में डाल सकता था। अच्छी बात ये रही कि ऑपरेशन ठीक से हुआ और बच्ची का दिमाग भी ठीक तरह से जवाब दे रहा है। अब वह धीरे-धीरे ठीक हो रही है और घर पर इलाज चल रहा है।”
पुणे स्थित अंकुरा हॉस्पिटल फॉर विमेन एंड चिल्ड्रन के पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शिजी चालिपाट ने कहा, “मैं सब माता-पिताओं से कहना चाहती हूं कि अगर आपका बच्चा कहीं गिर जाए और उसके बाद उसे बहुत नींद आए, सिर में दर्द हो, उल्टी हो, कहीं से खून बहे या दौरा (झटका) पड़े, तो इसे कभी नजरअंदाज न करें। ये खतरे के संकेत हो सकते हैं। सही समय पर इलाज मिलने से बच्चे की जान बच सकती है और उसे आगे की परेशानी से बचाया जा सकता है। और सबसे जरूरी – छोटे बच्चों को कभी भी बालकनी या खुले जगह पर अकेला न छोड़ें। ऐसे हादसों से बचाव ही बच्चों की सुरक्षा का सबसे पहला कदम है।”
बच्ची के माता–पिता ने कहा,“जब हमने उसे बेहोश उस हालत में देखा तो हम डर से कांप उठे। अस्पताल ले जाने तक का समय जैसे एक बुरे सपने जैसा था। जब डॉक्टरों ने कहा कि ऑपरेशन करना होगा, तो हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई। लेकिन अंकुरा अस्पताल की टीम ने बहुत जल्दी और अच्छे से इलाज किया। आज जब वह हमारे पास घर पर है, तो लगता है हमें दूसरा जीवन मिला है। हम हमेशा डॉक्टरों के शुक्रगुजार रहेंगे। कोई भी मां-बाप ऐसा दर्द न झेले, हम यही दुआ करते हैं।”