पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को बनाए रखे : प्रकाश जावड़ेकर –
गंगोत्री होम्स पर्यावरण दिवस पुरस्कार 2025’ समारोह उत्साहपूर्वक संपन्न

ग्रीन बिल्डिंग निर्माण में वृद्धि होनी चाहिए : प्रकाश जावड़ेकर
पुणे : विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में ‘गंगोत्री होम्स’ संस्था द्वारा आयोजित ‘पर्यावरण दिवस पुरस्कार 2025’ समारोह रविवार, 15 जून को म. ए. सो. सभागार (बाल शिक्षण मंदिर), मयूर कॉलनी, कोथरूड, पुणे में उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ।
इस समारोह में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली श्रीमती मेधा ताडपत्रीकर (रुद्र संस्था, पुणे) और श्री अनिकेत लोहिया (मानवलोक संस्था, अंबेजोगाई) को ‘गंगोत्री होम्स पृथ्वी पुरस्कार’ और ‘गंगोत्री होम्स जल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। प्रत्येक को स्मृतिचिन्ह और ₹50,000 की राशि प्रदान की गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर थे। उन्होंने ‘पर्यावरण और विकास में संतुलन’ विषय पर गहन विचार व्यक्त किए। उन्होंने गंगोत्री होम्स की पर्यावरणीय कार्यप्रणाली की सराहना की और मेधा ताडपत्रीकर व अनिकेत लोहिया के कार्यों की प्रशंसा की।
मेधा ताडपत्रीकर ने प्लास्टिक कचरे से ईंधन निर्माण का अभिनव प्रयोग प्रस्तुत किया है। उनके कार्य ने पर्यावरण साक्षरता और पुनः उपयोग का आदर्श प्रस्तुत किया है। अनिकेत लोहिया ने मराठवाड़ा के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल संरक्षण और जलग्रहण क्षेत्र विकास का प्रभावी कार्य किया है।
समारोह में ‘गंगोत्री होम्स’ के निदेशक श्री राजेंद्र आवटे और श्री गणेश जाधव ने अपने वक्तव्य में संस्था की रजत जयंती यात्रा का परिचय दिया और इस पुरस्कार की पृष्ठभूमि स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण अनुकूल निर्माण, नदी स्वच्छता, वृक्षारोपण, जनजागरण, साइकिल वितरण, पुनः उपयोग परियोजनाओं जैसे उपक्रमों से गंगोत्री होम्स ने सतत विकास का आदर्श स्थापित किया है।
इस अवसर पर सुभाष देशपांडे, प्रो. विजय परांजपे, आनंद अवधानी, डॉ. पूर्वा केसकर, संतोष गोंधळेकर आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मिलिंद कुलकर्णी ने किया और आभार प्रदर्शन गंगोत्री होम्स के संचालक मकरंद केळकर ने किया।
पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को बनाए रखना चाहिए : प्रकाश जावड़ेकर
श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “पर्यावरण और विकास एक-दूसरे के पूरक हैं, इनमें कोई द्वैत नहीं है। भारत में स्वच्छ भारत अभियान से पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। इसके बाद रेलवे सहित कई क्षेत्रों में पर्यावरण अनुकूल व्यवस्था लागू करने में सफलता मिली। कचरा प्रबंधन में जनसहभागिता और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।”
उन्होंने बताया कि 1990 के दशक में उन्होंने गंगोत्री संस्था के साथ मिलकर जलग्रहण क्षेत्र विकास में काम किया था, और उसी जुड़ाव के चलते वे इस पुरस्कार समारोह में आए हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को सम्मानित करने का यह उपक्रम सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि हमें वर्तमान परिस्थिति में जलवायु परिवर्तन को समझना चाहिए। कार्बन उत्सर्जन इसकी मूल समस्या है, हालांकि भारत विश्व की तुलना में कम उत्सर्जन करता है। भारत ने कार्बन दक्षता (Carbon Efficiency) का लक्ष्य प्राप्त किया है, फिर भी इसके दुष्परिणाम हमें झेलने पड़ रहे हैं। सौर ऊर्जा उत्पादन में भारत अग्रणी है और इसे संग्रहित करने की चुनौती को भी हम पार करेंगे। हमारी जीवनशैली पर्यावरण अनुकूल है, इसे बदलना नहीं चाहिए। हमारे देश में ‘देवराई’ जैसी पारंपरिक पर्यावरण-संरक्षण पद्धतियाँ हैं, जो विश्व में दुर्लभ हैं।
पुणे को पानी की राजधानी कहा जाता है, लेकिन आगामी 15 वर्षों में स्थिति बदल सकती है। अभी भी 3,000 टैंकर पुणे की सोसाइटियों में पानी पहुँचा रहे हैं, इसलिए हमें योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा।
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक स्वयं में समस्या नहीं है, बल्कि उसका संग्रहण और वर्गीकरण न होना समस्या है। भवन निर्माण के लिए पर्यावरण नियम और अधिक कड़े किए जाने चाहिए। ग्रीन बिल्डिंग की हिस्सेदारी अभी 5–7% है, इसे बढ़ाया जाना चाहिए और इससे संबंधित मानकों का पालन आवश्यक है।
अनिकेत लोहिया ने कहा कि वे मराठवाड़ा में जल के समवेत वितरण की संकल्पना पर कार्य कर रहे हैं। पानी की समस्या के कारण वहाँ प्रवास (Migration) की समस्या उत्पन्न हो रही है, जिसका सबसे अधिक प्रभाव वृद्धजनों, महिलाओं और बच्चों पर पड़ रहा है। इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
मेधा ताडपत्रीकर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्लास्टिक के प्रयोग, पुनः उपयोग और प्रक्रिया क्षेत्र में नवाचार से ज़्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि लोगों की मानसिकता में बदलाव आए।