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विजय पटवर्धन फाउंडेशन का स्थापना दिवस हर्षोल्लास से मनाया

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पुणे: विजय पटवर्धन फाउंडेशन के चौथे स्थापना दिवस के अवसर पर ध्वनि संयोजन, प्रकाश योजना, नेपथ्य सहायता, वस्तु संकेत, निर्माता, निर्माण सहयोग, वेशभूषा जैसे विभिन्न विभागों में कार्य करने वाले मंच के पीछे के 8 रंगकर्मियों को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही, दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए रंगकर्मियों के बच्चों को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सौ. वृषाली विजय पटवर्धन द्वारा लिखित नर्मदा परिक्रमा पर आधारित पुस्तक ‘अनुभूति’ का विमोचन भी किया गया।

इस समारोह में नाट्य निर्माता सौ. भाग्यश्री देसाई, उमा सरदेशमुख, सुवीर सबनीस, अभिजीत पणशीकर, और रविंद्र भिसे प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे।माधव थत्ते, रवी पाटील, शिरीष कुलकर्णी, विनायक कापरे, पुष्कर केळकर, प्रसाद घोटवडेकर, राकेश घोलप, और संजय जाधव — इन मंच के पीछे काम करने वाले कलाकारों को स्मृति चिन्ह और नकद सम्मान देकर गौरवित किया गया।

यह कार्यक्रम प्रशांत सभागृह (लोकमान्य नगर) में 18 जून 2025 को शाम 6 बजे आयोजित हुआ। इस अवसर पर अभिनेता विजय पटवर्धन, सौ. वृषाली पटवर्धन, सुरेंद्र गोखले, अथर्व सुदामे, पवन वाघुलकर, धनंजय आमोणकर समेत अनेक गणमान्य उपस्थित थे। विजय पटवर्धन ने प्रस्तावना दी और सूत्र संचालन चिन्मय पाटसकर ने किया।

प्रकाश योजना में स्पॉट लाइट्स को समूहबद्ध करने वाले कलाकार, घोड़े पर चढ़कर उसे समायोजित करने वाला, पूरे नाटक के दौरान डिमर पर बैठकर समय पर ब्लैक आउट करने वाला ऑपरेटर, संवाद स्पष्ट सुनाई दें इसका ध्यान रखते हुए सही समय पर उचित म्यूजिक पीस चलाने वाला ध्वनि संयोजक, नेपथ्य खड़ा करने वाला, सीन के फ्लैट्स को वाहन से उतार कर मंच पर सही ढंग से लगाने और नाटक के बाद उन्हें फिर से वाहन में ठीक से भरने वाला सहायक, रंगमंच कर्मी, कलाकारों और तकनीशियनों की आवश्यकताओं का ध्यान रखने वाला, और पूरे नाटक का लेखा-जोखा देखने वाला निर्माण प्रमुख — इन 8 क्षेत्रों में कार्य करने वाले मंच के पीछे के कलाकारों का सम्मान इस कार्यक्रम को यादगार बना गया।

इस अवसर पर बोलते हुए सौ. भाग्यश्री देसाई ने कहा, “रंगकर्मियों के सफल बच्चों का सम्मान उन्हें जिम्मेदारी का अहसास कराएगा और उनके कंधे पर प्रोत्साहन की थपकी देगा। इस शाबाशी से वे अपने पसंदीदा क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रयास करें। परदे के पीछे काम करने वाले हाथों को सम्मानित करने की विजय पटवर्धन फाउंडेशन की पहल अनोखी है। समाज में कृतज्ञता की भावना पनपनी चाहिए जिससे सांस्कृतिक जगत को बल मिलेगा।”

सौ. वृषाली पटवर्धन ने कहा, “कठिन शारीरिक व्याधियों के बाद की गई नर्मदा परिक्रमा मेरे लिए यादगार रही। वहां रोज लिखे गए अनुभव अब पुस्तक के रूप में सामने आए हैं, इसका मुझे आनंद है। पुस्तक की बिक्री से प्राप्त धनराशि परिक्रमा में आए आश्रम को प्रदान की जाएगी।”

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