पुणे रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर”क्रांतिसूर्य महात्मा ज्योतिबा फुले” करने की मांग
वंचित बहुजन आघाड़ी ने मंडल रेल प्रबंधक को सौंपा निवेदन

पुणे. वंचित बहुजन आघाड़ी की ओर से आज मंडल रेल प्रबंधक, पुणे विभाग को एक विशेष निवेदन सौंपा गया, जिसमें पुणे रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “क्रांतिसूर्य महात्मा ज्योतिबा फुले रेलवे स्टेशन” रखने की मांग की गई है।
इसके साथ ही निवेदन में कहा गया है,कि महात्मा ज्योतिबा फुले न केवल महाराष्ट्र के, बल्कि पूरे भारत के एक महान समाजसुधारक, विचारक और जातिव्यवस्था के कट्टर विरोधी थे। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, सामाजिक जागरूकता, और अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए आजीवन संघर्ष किया।
१८४८ में पुणे के भिडेवाडा में उन्होंने भारत की पहली कन्या पाठशाला शुरू कर स्त्री शिक्षण की नींव रखी। सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर उन्होंने समाज सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कार्य किए। उनके इस योगदान को देखते हुए १८८८ में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि प्रदान की गई थी।
वंचित बहुजन आघाड़ी का कहना है कि जैसे महाराष्ट्र को “फुले-शाहू-आंबेडकरांचा महाराष्ट्र” कहा जाता है, वैसे ही पुणे जैसे शिक्षणनगरी के रेलवे स्टेशन को “महात्मा फुले” के नाम से जाना जाना एक ऐतिहासिक और न्यायोचित कदम होगा।
इस निवेदन के माध्यम से उन्होंने केंद्र सरकार, रेलवे मंत्रालय एवं संबंधित अधिकारियों से इस मांग पर गंभीरता से विचार करने की अपील की है।