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सशक्त महिलाओं के त्याग से पुरुषों को मिला वैभव : डॉ. अरुणा ढेरे”

एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के उर्मिलाताई कराड सभागृह का लोकार्पण

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पुणेः “भारत की पारंपरिक, सहनशील और सात्विक स्त्रियों ने बिना किसी अपेक्षा के परिवार को संजोकर रखा। उन्होंने अपने सुखों का त्याग करते हुए पुरुषों को सपनों की उड़ान भरने की स्वतंत्रता दी। इसलिए पुरुषों को जो वैभव मिला, उसका मूल स्त्रियों की दृढ़ता और त्याग में है।” ऐसा विचार वरिष्ठ साहित्यकार और अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन की पूर्व अध्यक्ष डाॅ. अरुणा ढेरे ने व्यक्त किया।
वह एमआयटी आर्ट, डिज़ाइन और टेक्नॉलॉजी विश्वविद्यालय, विश्वराजबाग, पुणे परिसर में नव-निर्मित उर्मिलाताई कराड सभागृह के लोकार्पण समारोह में बोल रही थीं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआयटी समूह के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने की। इस अवसर पर भारतीय सिने पत्रकार पद्मश्री भावना सोमाया, सुप्रसिद्ध लेखक एवं कवि इंद्रजीत भालेराव, तुलसीराम कराड, काशीराम कराड, एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश कराड, श्रीमती ज्योति अ. ढाकणे, डॉ. सुचित्रा उ. नागरे, श्रीमती पूनम आ. नागरगोजे, विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रा. डॉ. राजेश एस. सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मंच पर उपस्थित थे.

डाॅ. ढेरे ने स्व. उर्मिलाताई को याद करते हुए कहा, “उनसे मेरी कई बार कवयित्री शांताबाई शेळके के घर, आलंदी में मुलाकात हुई थी। उनके काव्य में मातृत्व, वारकरी परंपरा और वात्सल्य झलकता है। इस भव्य सभागृह को उनका नाम देकर उन्हें चिरस्मरणीय बना दिया गया है।”
प्रा. डॉ. मंगेश कराड ने भावुक होते हुए कहा, “उर्मिलाताई काकी हमारे लिए त्यागमूर्ति थीं। उन्होंने अपने जीवन में न सिर्फ घर को संभाला, बल्कि 9 पुस्तकों की रचना भी की। उनके आशीर्वाद और तपस्या से ही कराड परिवार आज समृद्ध हुआ है। यह सभागृह उनकी स्मृति को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएगा।”
पद्मश्री भावना सोमाया ने सभागृह की भव्यता की सराहना करते हुए स्व. उर्मिलाताई के योगदान को नमन किया। कवि इंद्रजीत भालेराव ने अपने काव्य के माध्यम से स्त्री त्याग का मार्मिक चित्र प्रस्तुत किया और स्व. उर्मिलाताई पर लिखी कविता से माहौल भावुक कर दिया।
इस अवसर पर भावना सोमाया की पुस्तक ‘फेयरवेल कराची’ का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वशांति प्रार्थना से हुई और अंत पसायदान के साथ हुआ। प्रास्ताविक डॉ. वि.दा. पिंगळे ने किया और आभार डॉ. सुचित्रा कराड-नागरे ने माना। संचालन डॉ. अशोक घुगे ने किया।

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“पुणे के वैभव में चार चाँद लगाने वाला सभागृह” — प्रा. डॉ. कराड
विश्वराजबाग, जो कभी दिवंगत अभिनेता राज कपूर का प्रिय स्थान था, आज सांस्कृतिक और शैक्षणिक नगरी पुणे का गौरव बन गया है। यह सभागृह वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है और कला, डिज़ाइन व टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय की आत्मा को प्रतिबिंबित करता है। इस निर्माण ने पुणे के सांस्कृतिक वैभव को और समृद्ध किया है, ऐसा वक्तव्य प्रा. डॉ. विश्वनाथ कराड ने दिया।

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