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पंचांग में ग्रहों की स्थितियों के आधार पर शुभ-अशुभ प्रभाव तय होते हैं – पंचांगकर्ते मोहनराव दाते

याज्ञवल्क्य आश्रम का 98वां वर्धापन दिवस सम्पन्न: समाज एकता, पारिवारिक मूल्य व श्रेष्ठ व्यक्तित्वों के योगदान पर रहा जोर

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संदीप खर्डेकर को ‘महर्षी याज्ञवलक्य’ व मंजुश्री खर्डेकर को ‘मुक्ताई’ पुरस्कार से नवाजा गया

पुणे. याज्ञवल्क्य आश्रम का 98वां वर्धापन दिवस समारोह विविध सामाजिक, सांस्कृतिक व वैचारिक संवादों के साथ उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर पंचांगकर्ते मोहनराव दाते ने कहा कि “पंचांग में ग्रहों की स्थितियों के आधार पर शुभ-अशुभ प्रभाव तय होते हैं। विवाह के लिए ग्रहों की अनुकूलता अत्यंत आवश्यक है। लड़की का लड़के से छोटी उम्र की होना बेहतर माना गया है।”
उन्होंने आज के सामाजिक परिदृश्य की चर्चा करते हुए कहा, “घर के रिश्तों की संख्या कम होती जा रही है। अब बाहर के लोगों को भी काका-मामा कहना पड़ रहा है। एकमात्र संतान पर न रुकते हुए, बहन को भाई और भाई को कम से कम एक बहन होनी चाहिए।”

इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता संदीप खर्डेकर को ‘महर्षि याज्ञवल्क्य पुरस्कार’, मंजुश्री खर्डेकर को ‘मुक्ताई पुरस्कार’ और मुक्ता गरसोले कुलकर्णी को ‘बालगंधर्व पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
इसके अलावा वरिष्ठ कार्यकर्ता पुरस्कार सतीश वैद्य, सुषमा वैद्य और अरुण महाजनी को तथा क्रियाशील कार्यकर्ता पुरस्कार बाळकृष्ण देव और वीणा ठकार को प्रदान किया गया।

“जातिविहीन समरस समाज की आज सबसे बड़ी आवश्यकता”-खर्डेकर

पुरस्कार ग्रहण करते हुए संदीप खर्डेकर ने कहा, “जातियों में बंटा समाज कभी प्रगति नहीं कर सकता। महाराष्ट्र जितना डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, शाहू महाराज, महात्मा फुले जैसे महानायकों का है, उतना ही वह बाजीराव पेशवा, स्वातंत्र्यवीर सावरकर, लोकमान्य तिलक , चापेकर बंधु, महर्षि कर्वे जैसे अन्य महापुरुषों का भी है।”

उन्होंने यह भी कहा कि “ब्राह्मण समाज को जिस तरह से टार्गेट किया जा रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी जातियों के महापुरुषों ने महाराष्ट्र के निर्माण में योगदान दिया है। इसलिए जातिभेद छोड़ एकजुट हिंदू समाज आज की सबसे बड़ी जरूरत है।”

मुक्ताई व बालगंधर्व पुरस्कार विजेताओं की प्रतिक्रिया

मुक्ता गरसोले कुलकर्णी ने ‘बालगंधर्व पुरस्कार’ प्राप्त करते हुए कहा, “याज्ञवल्क्य स्मृति एक ऐसा ग्रंथ है जो न्याय और विधिक शिक्षाओं की दिशा देता है। मेरा इस आश्रम से बचपन से संबंध रहा है। इस सम्मान से मुझे गर्व और प्रेरणा मिली है।”

मंजुश्री खर्डेकर ने कहा, “मैंने राजनीतिक जीवन में प्रत्येक स्तर पर मेहनत की और जनता को केंद्र में रखकर उनके सुझावों के अनुसार विकास कार्य किए। इसी वजह से मुझे सफलता मिली। इस सम्मान के लिए संस्था का आभार व्यक्त करती हूं।”

कार्यक्रम में प्रमुख उपस्थितियाँ

समारोह में संस्थाध्यक्ष ज.ल. नगरकर, कार्यवाह प्रमोद चंद्रात्रेय, सुचेता पाताळे, अरुण खेडकर, मनोज तारे, ज्ञानेश्वर बेल्हे, उल्हास पाठक, सुजाता मवाळ, तृप्ती तारे, विमल भालेराव, प्रशांत पिंपरीकर, धनंजय ठुसे, नचिकेत बेरी, सुषमा देव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन यशश्री पुणेकर ने किया। समापन नीलिमा पिंपरीकर के ‘पसायदान’ गायन के साथ हुआ।

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