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गुरुपद वंदन से गुंज उठा कात्रज गुरुधाम : डॉ. मुनिराज लाभेश विजयजी ने चातुर्मास प्रवेश पर दिया धर्म और ज्ञान का संदेश

भरत कुमार जंयतीलालजी चंदावत,सेवाड़ी/पुना परिवार बने चातुर्मास के मुख्य लाभार्थी

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पुणे . महाराष्ट्र के ऊर्जा स्थल कात्रज स्थित दुग्गड़ फार्म हाउस से प्रारंभ हुई डाक्टर मुनिराज लाभेश विजयजी महाराज की चातुर्मास गुरुप्रवेश यात्रा जब अपने पावन गंतव्य श्रीमद राजराजेन्द्र सुरिश्वरजी जैन प्रतिष्ठान गुरुधाम पहुँची, तो श्रद्धा, भक्ति और उत्साह का अनुपम संगम देखने को मिला। यह वही स्थान है जहाँ श्री लाभेश विजयजी म.सा. आगामी चातुर्मास के लिए विराजमान होंगे।

गाजे-बाजे, नृत्य-गान और जयकारों से भव्य बनी इस शोभायात्रा में सैकड़ों गुरुभक्तों की सहभागिता रही। “गुरुदेव अमारो अन्तर्नाद” के गगनभेदी उद्घोष के साथ जैसे ही यात्रा गुरुधाम पहुँची, वहाँ की शांत व पावन वायुमंडल में धर्मसभा की सुरम्य शुरुआत हुई।

धर्मसभा में संगीतकार संजय रांका ने अपने संगीत की मधुर स्वर-लहरियों से गुरुदेव का स्वागत किया, वहीं मंच सारथी भूषण ललित परमार ने ओजस्वी वाणी से सभा को भावविभोर कर दिया।
सभा की शुरुआत गुरुदेव के सामूहिक गुरु वंदन से हुई, इसके पश्चात् श्री राजराजेन्द्र सुरिश्वरजी म.सा. की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन श्री भरतकुमार जयंतीलालजी चंदावत (मुख्य लाभार्थी) सेवाड़ी परिवार तथा गुरधाम ट्रस्ट मंडल के ट्रस्टीयों ने किया।

सभा के आमंत्रित अतिथि मुंबई-राजस्थान पाक्षिक के प्रधान संपादक व जीवदया प्रेमी श्री ललित शक्ति,व पुना व आसपास के ट्रस्ट मंडल ट्रस्टिगणों एवं अन्य गणमान्यजनों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
गुरुधाम ट्रस्ट द्वारा चातुर्मास के मुख्य लाभार्थी चंदावत परिवार, संगीतकार संजय रांका, व मंच सारथी ललित परमार का भव्य बहुमान कर, उनकी सेवाओं को श्रद्धापूर्वक नमन किया गया।

गुरुदेव श्री लाभेश विजयजी म.सा. ने अपने सारगर्भित प्रवचन में चातुर्मास की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा,  “चातुर्मास वह काल है जहाँ भक्ति की भावयात्रा आत्मा की वास्तविक मंज़िल की ओर अग्रसर होती है। यह केवल वर्षावास नहीं, आत्मशोधन और संस्कारों के सिंचन का काल है।”
उन्होंने बलपूर्वक कहा “स्कूली शिक्षा के साथ धार्मिक शिक्षा भी आज के समय की अपरिहार्य आवश्यकता है, क्योंकि धर्म से ही कर्म में शक्ति आती है और मन की मलिनता दूर होती है।”
“अज्ञान के तिमिर को दूर करने हेतु मैं जीवन पर्यन्त जैन साहित्य के अधिकतम संपादन और प्रचार प्रसार का संकल्प लेकर समाज में ज्ञान का दीप प्रज्ज्वलित करूँगा।”
गुरुदेव की मांगलिक वाणी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान की।
कार्यक्रम के दौरान गुरु कांबली चढ़ावा कौशल्या देवी एम.भंवरलालजी(भीनमाल), गुरु पूजन चढ़ावा सियाणा( राज)छगनलालजी मिश्रीमलजी सोलंकी, तथा गुरु आरती चढ़ावा शिवगंज (राजस्थान) अंजनादेवी आनंदजी बौराणा द्वारा लिया गया।

इस अवसर पर अनेक संघो का आगमन चातुर्मास प्रवेश के पावन अवसर पर हुआ श्री मुनिसुव्रतस्वामी जिन गुरु मंदिर शुक्रवार पेठ पुणे, जैन श्वेतांबर दादावाड़ी टेंपल ट्रस्ट पुणे,श्री जैन श्वेतांबर राजस्थान मूर्ति पूजक जैन संघ भोपला चौक पुणे कैंप, शांतिवन जैन संघ कोंडवा तलेगांव जैन संघ एवं केसरिया पारसनाथ जैन संघ इन सभी ट्रस्ट व संघ का गुरुधाम ट्रस्ट द्वारा बहुमान किया गया। चातुर्मास प्रवेश के अवसर पर कई गुरु भक्त अलग-अलग नगर गांव से पधारे थे उनका भी बहुमान किया गया। कार्यक्रम का संचालन ललित परमार एवं संगीत की मधुर स्वर लहरिया संजय भाई ने प्रदान की श्री राज राजेंद्र सुरीश्वर जैन प्रतिष्ठान गुरुधाम कात्रेज ने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। अंत में प्रभावना वितरित की गई एवं गौतम प्रसादी का आयोजन किया गया।

 

चातुर्मास काल दरम्यान प्रति रविवार तीन महामंगलकारी महामंगलिक एवं दो पूजा का आयोजन किया जाएगा।

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