वाघोली में सैकड़ों नागरिकों के मतदाता पहचान पत्र आवेदन किये जा रहे खारिज – वाको
वाको वेल्फेअर असोसिएशन ने शिरूर चुनाव विभाग पर लगाए गंभीर आरोप

पुणे: लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए सरकार जहां एक ओर मतदाता जागरूकता अभियान चला रही है, ताकि अधिक से अधिक नागरिक चुनाव में मतदान करें। वहीं दूसरी ओर पुणे के वाघोली क्षेत्र के सैकड़ों नागरिकों के मतदाता पहचान पत्र के आवेदन सुनियोजित तरीके से खारिज किया जा रहा हैं। यह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था पर घातक प्रहार है और नागरिकों को मतदान से दूर रखने का प्रयास है, यह आरोप वाको वेल्फेअर असोसिएशन ने एक पत्रकार परिषद में लगाते हुए शिरूर चुनाव विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
इस अवसर पर वाको वेल्फेअर असोसिएशन अध्यक्ष अनिल कुमार मिश्रा ने कहा कि पिछले 4-5 महीनों से वाघोली के नागरिक फॉर्म 6 (नया पंजीकरण) और फॉर्म 8 (पता सुधार/परिवर्तन) आवेदन जमा कर रहे हैं। लेकिन बिना कोई ठोस कारण बताए इन आवेदनों को शिरुर तहसील कार्यालय में भौतिक उपस्थिति के लिए भेजा जा रहा है। चूंकि यह कार्यालय वाघोली से लगभग 50 किमी दूर है, इसलिए कई नागरिक, विशेष रूप से बुजुर्ग, महिलाएं और मजदूर वर्ग व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने में असमर्थ हैं। नतीजतन, बड़ी संख्या में आवेदन खारिज किए जा रहे हैं।
जनता को मतदान से वंचित करने की साजिश?
इसके बावजूद कि यहाँ स्थानीय लोग पिछले 15 वर्षों से सरकार को सभी प्रकार के कर, शुल्क और उपकर का भुगतान समय पर करते आ रहे हैं, वाघोली में बुनियादी नागरिक सुविधाएं बेहद अपर्याप्त हैं। महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के विभिन्न हिस्सों से कई नागरिक यहाँ के स्थनीय नागरिक है, इसके बावजुद मतदान जैसे अधिकार से वंजित होना पड़ रहा है।
चुनाव अधिकारियों का मुख्य कर्तव्य नागरिकों में मतदान के प्रति जागरूकता पैदा करना, उन्हें सूची में शामिल करना और हर पात्र नागरिक को मतदान का अधिकार सुनिश्चित करना है। हालांकि, कानूनी रूप से प्रस्तुत आवेदनों पर सुनवाई के लिए लोगों को जबरन 50 किलोमीटर दूर शिरुर बुलाना संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का उल्लंघन है। वास्तव में, यह सत्यापन प्रक्रिया वाघोली या आस-पास के क्षेत्रों में की जानी चाहिए। ताकि महिलाओं और बुजुर्ग को परेशानी न हो।
इससे न केवल समय और पैसा बर्बाद होता है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन होता है। क्या चुनाव अधिकारी किसी के दबाव में काम कर रहे हैं, यह भी एक गंभीर सवाल है।
मुख्य मुद्दे:
1. बड़े पैमाने पर आवेदनों को खारिज करना – आवेदनों को एकतरफा खारिज करना।
2. अनुचित सत्यापन प्रक्रिया – अपारदर्शी, पक्षपातपूर्ण और अमानवीय।
3. नागरिकों के वोट के अधिकार को नकारा जा रहा है – सैकड़ों युवा, महिलाएं और बुजुर्ग लोगों को सूची से बाहर रखा जा रहा है।
वाको वेलफेयर एसोसिएशन की प्रमुख मांग:
1. शिरुर चुनाव प्रभाग में प्रक्रिया की तत्काल जांच की जानी चाहिए।
2. वाघोली क्षेत्र में ही स्थानीय सत्यापन सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
3. वीडियो कॉल या डिजिटल सत्यापन जैसी वैकल्पिक सुविधाएं लागू की जानी चाहिए।
4. गलत तरीके से खारिज किए गए आवेदनों को फिर से सत्यापित और स्वीकृत किया जाना चाहिए।
वाको वेलफेयर एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि इस अनुचित और पक्षपातपूर्ण प्रक्रिया को तत्काल नहीं रोका गया तथा नागरिकों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने का क्रम जारी रहा, तो वाघोली के नागरिकों के बीच गहरे असंतोष की भावना जन्म ले सकती है। यह असंतोष केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे चुनाव आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े होंगे। ऐसे में आवश्यक है कि चुनाव विभाग शीघ्र कार्रवाई करते हुए पारदर्शी, संवेदनशील और सुलभ प्रक्रिया सुनिश्चित करे, ताकि लोकतंत्र में आम नागरिक का विश्वास बना रह सके।