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संशोधन में समस्याएं ही बनती हैं अवसर – प्रा. डॉ. एन. पी. पाधी

एमएनआईटी जयपुर और एमआयटी एडीटी विश्वविद्यालय, पुणे के बीच हुआ ऐतिहासिक एमओयू

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पुणे: “संशोधकों के लिए समस्याएं ही अवसर होती हैं। इतिहास में जितने भी बड़े आविष्कार हुए हैं, वे किसी न किसी जटिल समस्या को हल करने के लिए ही हुए हैं। आज भारत के कोने-कोने से प्रतिभाशाली संशोधक सामने आ रहे हैं, जो जटिल विषयों पर काम कर रहे हैं। यह आवश्यक है कि भारत की प्रगति के लिए देश की अग्रणी संस्थाएं एकजुट होकर कार्य करें।” – ऐसा विचार मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनआईटी), जयपुर के निदेशक प्रो. डॉ. एन. पी. पाधी ने व्यक्त किया।

वे एमएनआईटी जयपुर और एमआइटी आर्ट, डिझाइन एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी (एमआयटी एडीटी), पुणे के बीच हुए सामंजस्य करार (MoU) के अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर दोनों संस्थानों के वरिष्ठ पदाधिकारी तथा प्राध्यापकगण उपस्थित थे।

इस ऐतिहासिक समझौते के तहत दोनों संस्थानों के बीच संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं, छात्र एवं संकाय विनिमय, तथा नवाचार से जुड़े कई कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।

इस कार्यक्रम में एमएनआईटी के डीन ऑफ रिसर्च प्रो. डॉ. लव भार्गव, एमआयटी एडीटी के कुलगुरू प्रो. डॉ. राजेश एस., प्र. कुलगुरू डॉ. मोहित दुबे, डॉ. रामचंद्र पुजेरी, कुलसचिव डॉ. महेश चोपडे, अनुसंधान निदेशक डॉ. वीरेन्द्र भोजवानी, विद्यार्थी कल्याण विभाग निदेशक डाॅ.सुराज भोयर सहित अनेक अधिकारी उपस्थित थे।

सामूहिक ज्ञान निर्माण की दिशा में एक कदम

एमआयटी एडीटी विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रो. डॉ. मंगेश तुकाराम कराड ने इस अवसर पर कहा, “यह समझौता केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत के परिवर्तन की दिशा में सामूहिक ज्ञान निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण कदम है।”

कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वशांति प्रार्थना और दीपप्रज्वलन के साथ हुआ। प्रारंभिक उद्बोधन डॉ. सुराज भोयर ने किया जबकि कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. प्रतिभा जगताप का विशेष योगदान रहा।

 

_‘एमआयटी-एन्स्पायर’ अनुसंधान केंद्र का शुभारंभ_

इस अवसर पर एमआयटी एडीटी द्वारा ‘एमआयटी-एन्स्पायर’ (MIT-Institute for Sponsored & Innovative Research) नामक नवीन अनुसंधान केंद्र का शुभारंभ भी किया गया। यह केंद्र प्रो. डॉ. मंगेश कराड की संकल्पना तथा कुलपति प्रो. डॉ. राजेश एस. के मार्गदर्शन में भारत सरकार की “विकसित भारत@2047” दृष्टि के अनुरूप कार्य करेगा।

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