
पुणे .कात्रज क्षेत्र में एक अनोखी मिसाल पेश करते हुए, गीले कचरे, किचन वेस्ट और सब्जी के फेंके गए अवशेषों से एक सुंदर और हरा-भरा टेरेस गार्डन तैयार किया गया है। यह बाग साई जनसेवा प्रतिष्ठान की पहल और कोंढवा-येवलेवाडी क्षेत्रीय कार्यालय के सहयोग से ८०० वर्ग फुट की जगह में विकसित की गई है। इस गार्डन में फलों, फूलों, सब्जियों और सजावटी पौधों की कई प्रजातियाँ लगाई गई हैं, जिनमें सहजन, करेला, संतरा, पपीता, कांचन, बहावा, चाफा, जास्वंद, सदाफुली, कर्दळी, तगर, गुलाब, बांस, गन्ना आदि शामिल हैं।
इस पर्यावरणीय उपक्रम का उद्घाटन बुधवार को पुणे महानगरपालिका के अतिरिक्त आयुक्त पृथ्वीराज बी. पी. के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर मनपा के उपयुक्त जयंत भोसेकर, क्षेत्रीय कार्यालय के सहायक आयुक्त लक्ष्मण कादबाने, साई जनसेवा प्रतिष्ठान के संस्थापक सुरज लोखंडे, अध्यक्ष गीता मोहोरकर, मनपा के अधिकारी व कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
पृथ्वीराज बी. पी. ने कहा, “टायर, ड्रम और ईंटों जैसी फेंकी जाने वाली वस्तुओं का पुनः उपयोग कर यह गार्डन तैयार किया गया है, जो न सिर्फ सुंदर है बल्कि इससे ताजा फल-सब्जियां और स्वच्छ ऑक्सीजन भी मिल रही है। इस गार्डन में घर का गीला कचरा नष्ट किया जा रहा है, जिससे कचरे की मात्रा भी घट रही है। पुणे के नागरिकों को प्रेरणा लेकर अपने घर की छत या आंगन में ऐसे छोटे बाग विकसित करने चाहिए, और उसमें गीला कचरा खाद के रूप में उपयोग करें। केवल सूखा कचरा मनपा को दें। अगर सभी नागरिक गीले कचरे का स्थानीय स्तर पर निपटान करेंगे, तो शहर स्वच्छ रहेगा और पौष्टिक सब्जियां व फल भी उपलब्ध होंगे। पुणे महानगरपालिका ऐसे उपक्रमों को सदैव प्रोत्साहन देती रहेगी।”
गीता मोहोरकर ने बताया, “सिंहगड रोड, धनकवडी-सहकारनगर और कोंढवा-येवलेवाडी क्षेत्रीय कार्यालय की छतों पर भी ऐसे ही गार्डन तैयार किए गए हैं। १६० ड्रमों (प्रत्येक २०० लीटर) में रोजाना ६०० से ७०० किलो गीला कचरा खाद में परिवर्तित किया जा रहा है। टाकाऊ ड्रम का उपयोग कर बैठने की कुर्सियाँ भी बनाई गई हैं, जिससे कम जगह और लागत में कचरा प्रबंधन संभव हुआ है। यदि नागरिक अपने घर या सोसायटी में इस तरह की बागवानी अपनाएं तो शहर की कचरा समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।”
सुरज लोखंडे ने कहा कि “साई जनसेवा प्रतिष्ठान पिछले 10 वर्षों से शिक्षा, समाजसेवा, पर्यावरण संवर्धन, महिला एवं युवा सशक्तिकरण के लिए कार्यरत है। कचरा प्रबंधन पर विशेष रूप से विभिन्न उपक्रम संस्थान द्वारा संचालित किए जाते हैं।”