पर्युषण समापन पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से सभी जीवों से मांगी क्षमा
"बोले चाले मिच्छामी दुक्कडम्"

पुणे। जैन समाज का प्रमुख पर्व पर्युषण आज समापन पर पहुंचा। देशभर के जैन बंधु इस अंतिम दिन अखंड उपवास रखते हैं। स्वच्छ एवं नए वस्त्र धारण कर श्रद्धालु मंदिरों में जाकर आचार्य व गुरु भगवंतों की उपस्थिति में अंतिम प्रतिक्रमण करते हैं।
इस अवसर पर जैन साधु-साध्वियों द्वारा जैन कल्पसूत्र का वाचन किया गया। लगभग तीन घंटे तक नवकार मंत्र का जाप कर सभी ने “मिच्छामी दुक्कडम्” उच्चारित कर क्षमा याचना की। प्राकृत भाषा का यह शब्द “मिच्छामी दुक्कडम्” का अर्थ है — किए गए सभी पाप व्यर्थ हों तथा यदि मेरे विचार, वाणी या आचरण से किसी भी जीव को कष्ट पहुंचा हो तो मैं क्षमा मांगता हूं।
जैन समाज के लोग इस दिन समस्त जीवों से क्षमा मांगकर आपसी सद्भाव और करुणा का संदेश देते हैं।
समापन अवसर पर जैन महिलाएं भी सामूहिक रूप से हाथ जोड़कर अंतिम प्रतिक्रमण के समय “मिच्छामी दुक्कडम्” बोलते हुए सभी से क्षमा याचना करती नजर आईं।