ताजा खबरब्रेकिंग न्यूज़शहर

‘गणेशोत्सव को राज्य महोत्सव घोषित करने का जीआर अब तक क्यों नहीं?’ — कांग्रेस प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी का सवाल

कहा -राज्य महोत्सव को लेकर प्रावधान नियमावली व निश्चित व्याख्या क्या है?

Spread the love

पुणे . महाराष्ट्र सरकार द्वारा गणेशोत्सव को ‘राज्य महोत्सव’ घोषित करने की सिर्फ सवंग लोकप्रिय घोषणा’के अलावा इस संबंध में कोई आधिकारिक शासकीय निर्णय (GR) जारी नहीं हुआ और न ही महाराष्ट्र शासन की आधिकारिक वेबसाइट (www.maharashtra.gov.in) और अन्य पोर्टल्स (dgipr.maharashtra.gov.in, gr.maharashtra.gov.in) पर इसका कोई उल्लेख दिखाई देता है।
यह गंभीर आरोप कांग्रेस के वरिष्ठ राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने प्रेस के लिए जारी एक बयान में लगाया है।

तिवारी ने कहा कि जब “गणेशोत्सव को राज्य महोत्सव” के रूप में मनाया जा रहा है, तब इसके लिए बजटीय प्रावधान, नियमावली या निश्चित परिभाषा क्या है, इस पर सरकार की कोई स्पष्टता नहीं है। उन्होंने सरकार पर महज़ लोकप्रियता बटोरने के लिए दिखावटी घोषणाएँ करने और व्यवहारिक पहल से दूर रहने का आरोप लगाया।
उन्होंने सवाल उठाए कि गणेशोत्सव से जुड़े मूर्तिकारों, कलाकारों, मंडप सज्जाकारों, वाद्ययंत्र वादकों, ढोल-ताशा दलों, पुजारियों और सेवा प्रदाताओं को जीएसटी में कोई छूट दी गई है या नहीं? इसी तरह, त्योहार के दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले पुलिस बल को कोई विशेष रजा, सुविधा या प्रोत्साहन प्रदान किया गया है क्या? ऐसी जानकारी ढूंढने से भी नहीं मिलती है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा कि विभिन्न विधायकों ने गणेशोत्सव के लिए १०० करोड़ रुपये की निधि की मांग की थी। पुणे में सजावट G20 परिषद की तर्ज़ पर करने, पंढरपुर वारी की तरह पुलिस बल और प्रबंधन व्यवस्था उपलब्ध कराने तथा तालुका से राज्य स्तर तक सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं के लिए १० करोड़ रुपये पुरस्कार राशि निर्धारित करने की आवश्यकता जताई गई थी। किंतु इस दिशा में सरकार की कोई ठोस नीति नज़र नहीं आती।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि गणेशोत्सव को ‘राज्य महोत्सव’ घोषित किया गया है, तो क्या सरकार गाँव और शहरों में उत्सवों पर होने वाले खर्च का कुछ अंश वहन करेगी…? क्या गणेशोत्सव मंडलों की समस्याओं का समाधान और उन्हें आर्थिक प्रोत्साहन देने की ठोस योजना है… ?
काँग्रेस के वरिष्ठ राज्य प्रवक्ता
गोपालदादा ने सुरक्षा और आधारभूत सुविधाओं का भी मुद्दा उठाया। उनका कहना था कि यदि यह वास्तव में राज्य का उत्सव है तो अतिरिक्त पुलिस बल, पर्यावरण-हितैषी उपाय और पर्यटक-भक्तों की सुविधा के लिए आवश्यक प्रायोजन सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि सांस्कृतिक मंत्री आशीष शेलार गणेशोत्सव को महाराष्ट्र की सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परंपरा का अविभाज्य हिस्सा मानते हैं और इसे सामाजिक एकता, राष्ट्रीयता तथा स्वाभिमान से जोड़ते हैं। किंतु व्यवहारिक स्तर पर सरकार की भूमिका शून्य दिखाई देती है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने तत्कालीन एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा ‘दही-हंडी’ को राज्य खेल का दर्जा देने की घोषणा का भी हवाला दिया और कहा कि यह भी “तोंडाला पाने पुसण्याचा प्रकार” (यानी महज़ दिखावा) ही साबित हुआ इसका भी ऊदाहरण पेश किया..!
घोषणाओं के अलावा कुछ भी करने के लिए महायुती सरकार राजी नहीं, यही मंशा सरकार की साबित होती है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!