विरोधियों पर व्यंग करने के लिए बुद्धि नहीं, संस्कार चाहिए – कांग्रेस की फडणवीस पर तीखी टिप्पणी
मतदान के समान अधिकारों की रक्षा हेतु मविआ का संघर्ष संविधानिक कर्तव्यपूर्ति का उदाहरण – गोपालदादा तिवारी

पुणे,: महाविकास आघाड़ी (मविआ) के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में निर्वाचन आयोग से मुलाकात कर “जनता के मताधिकार” से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की थी। इस पृष्ठभूमि पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा विपक्षी नेताओं पर व्यंगात्मक टिप्पणी करना “महाराष्ट्र की सुसंस्कृत नेतृत्व परंपरा को कलंकित करने वाला” बताया गया है। यह कड़ी प्रतिक्रिया महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि “विरोधी दल सरकार के दुश्मन नहीं, बल्कि जनता की आवाज और उनके विश्वास का प्रतीक होते हैं।” फडणवीस को यह बात समझनी चाहिए, ऐसा सवाल तिवारी ने उठाया।
उन्होंने आगे कहा कि मविआ दल के नेताओं ने फडणवीस के मुकाबले अधिक समय तक जनता के समर्थन से निर्विवाद सत्ता संभाली है, बिना किसी दलभंग या मतचोरी के आरोपों के। “इस ऐतिहासिक सच्चाई का कम से कम भान फडणवीस को होना चाहिए था,” तिवारी ने कहा।
कांग्रेस प्रवक्ता ने फडणवीस पर व्यक्तिगत प्रहार करते हुए कहा कि — “गांधीवादी और सर्वोदयी विचारधारा के निष्ठावान नेता एवं प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाळ की योग्यता पर सवाल उठाने से पहले, यह याद रखना चाहिए कि स्वयं देवेंद्र फडणवीस को केवल अपने पिता गंगाधर फडणवीस के पुत्र होने के नाते युवा आयु में महापौर पद मिला था।”
गोपालदादा तिवारी ने यह भी कहा कि मविआ ने जब निर्वाचन आयोग से मतदार सूची संबंधी सवाल पूछे, तो आयोग असहज हो गया। “वास्तव में, मतदाता अधिकारों पर उठे सवालों का समाधान सत्तापक्ष को करवाना चाहिए था। परंतु, फडणवीस सरकार आयोग का बचाव कर जनता के संदेह को और गहरा कर रही है।”
अंत में उन्होंने तीखा व्यंग करते हुए कहा कि —
“राज्य की जनता के भरोसे से कई बार सत्ता में आए नेताओं को विरोधियों पर ‘भरकटे’ या ‘बिखरे हुए’ जैसी टिप्पणी करने के लिए बुद्धि नहीं, संस्कार चाहिए।”



