“बियॉन्ड विज़न” सेंटर, पुणे ने रचा इतिहास, भारत में अंडरग्रेजुएट डेंटल स्टूडेंट्स के लिए आयोजित किया गया सबसे बड़ा मैग्निफिकेशन मास्टरक्लास एम. ए. रंगूनवाला कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज़ एंड रिसर्च
थीमः 200 मुस्कानें... एक दृष्टि

“जब प्रशिक्षण प्रारंभ से ही दिया जाए, तो उत्कृष्टता एक आदत बन जाती है।”
पुणे : “200 मुस्कानें… एक दृष्टि” यह थीम साकार हुई एम. ए. रंगूनवाला कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज़ एंड रिसर्च सेंटर, पुणे में, जब 200 स्नातक दंत चिकित्सा छात्रों ने मैग्निफिकेशन के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त किया और सटीकता आधारित दंत चिकित्सा की दिशा में अपना पहला कदम बढ़ाया।
यह विशेष आयोजन विश्व एंडोडॉन्टिक दिवस के उपलक्ष्य में इंडियन एंडोडॉन्टिक सोसायटी के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसने दंत शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की देश का पहला और सबसे बड़ा स्नातक स्तर का मैग्निफिकेशन मास्टरक्लास ।
संरक्षी दंत चिकित्सा एवं एंडोडॉन्टिक्स विभाग द्वारा आयोजित “बियॉन्ड विज़न” का संकल्प और नेतृत्व विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. विवेक हेगड़े ने किया। उनके साथ विभाग की समर्पित फैकल्टी और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों की टीम ने मिलकर इस आयोजन को सफल बनाया। डॉ. हेगड़े पिछले कई वर्षों से इंडियन एंडोडॉन्टिक सोसायटी के सहयोग से सूक्ष्मदर्शी-आधारित मैग्निफिकेशन प्रशिक्षण वर्ग आयोजित कर रहे हैं, जो देशभर के युवा दंत चिकित्सकों को सटीकता और उत्कृष्टता के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं।
करीब 200 छात्रों ने इस हैंड्स-ऑन सत्र में भाग लिया, जिसमें प्रत्येक छात्र को व्यक्तिगत डेंटल लूप्स प्रदान किए गए। विद्यार्थियों ने प्रत्यक्ष प्रदर्शन के माध्यम से जाना कि मैग्निफिकेशन तकनीक कैसे नैदानिक सटीकता, दृश्यता और एर्गोनॉमिक्स को बेहतर बनाती है। आधुनिक दंत चिकित्सा में मैग्निफिकेशन के विकास और महत्व पर आयोजित विस्तृत व्याख्यान ने छात्रों को अपने क्लिनिकल प्रशिक्षण की प्रारंभिक अवस्था से ही सटीक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
इस आयोजन के लिए लूप्स का प्रायोजन एडमेटेक हाईटेक मेडिकल सॉल्यूशंस प्रा. लि. द्वारा किया गया, जो अपनी उन्नत प्रकाशीय प्रणालियों और दंत एर्गोनॉमिक्स में शिक्षा एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
एम.सी.ई. सोसायटी की माननीय उपाध्यक्ष श्रीमती आबेदा इनामदार ने “बियॉन्ड विज़न” की सफलता पर हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित कीं। उन्होंने कॉलेज और विभाग की इस दूरदर्शी पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन संस्था की उत्कृष्टता और नवाचार के प्रति सतत प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
डॉ. परवेज इनामदार ने भी आयोजन टीम को अपनी शुभकामनाएँ दीं और इस कार्यक्रम की व्यापकता एवं दृष्टिकोण की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि स्नातक स्तर पर मैग्निफिकेशन जैसी आधुनिक तकनीक को शामिल करना एक सराहनीय कदम है, जो संस्था को वैश्विक मानकों की दिशा में अग्रसर रखता है।
प्राचार्य डॉ. रमणदीप दुग्गल ने कार्यशाला की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विभाग की इस अनूठी पहल की प्रशंसा की, जिसने स्नातक विद्यार्थियों को मैग्निफिकेशन आधारित व्यावहारिक प्रशिक्षण का मूल्यवान अनुभव प्रदान किया। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक स्तर पर इस प्रकार का अनुभवात्मक शिक्षण विद्यार्थियों को सक्षम, आत्मविश्वासी और एर्गोनॉमिक रूप से सजग दंत चिकित्सक बनने में सहायता करता है।
अपने समापन संबोधन में डॉ. विवेक हेगड़े ने कहा,
“मैग्निफिकेशन दंत चिकित्सा का भविष्य है, और इसे स्नातक स्तर से ही शिक्षा में सम्मिलित किया जाना चाहिए ताकि विद्यार्थी प्रारंभ से ही सटीकता आधारित नैदानिक अभ्यास में निपुण हो सकें। मैग्निफिकेशन का उपयोग न केवल कार्य की गुणवत्ता बढ़ाता है, बल्कि मुद्रा, दृश्यता और दीर्घकालिक व्यावसायिक दक्षता में भी सुधार करता है।”
कार्यक्रम का सबसे आनंददायक क्षण वह था जब “200 खुश मुस्कानें” दिखीं छात्रों ने इस अद्भुत अनुभव के लिए हर्ष और आभार व्यक्त किया तथा कहा कि इस सत्र ने उनके नैदानिक सटीकता और एर्गोनॉमिक समझ को एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें एम. ए. रंगूनवाला कॉलेज ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की भारत का पहला ऐसा दंत महाविद्यालय बनने का गौरव, जिसने स्नातक स्तर पर इतने बड़े पैमाने पर मैग्निफिकेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।
जैसे ही “बियॉन्ड विज़न” का समापन हुआ, पूरे परिसर में एक ही संदेश गूंजा “जब प्रशिक्षण प्रारंभ से ही दिया जाए, तो उत्कृष्टता एक आदत बन जाती है।”



