“ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में सरकार की दमदार भूमिका”
"साइबर सुरक्षा में भी हर नागरिक बने सैनिक" : सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों की राय

पुणे .पहगाम हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गई थी। हालांकि, इसके बाद उच्च स्तर पर गतिविधियाँ तेज़ हो गईं और हर किसी को विश्वास था कि कुछ बड़ा होने वाला है। और जो हुआ, उसे पूरी दुनिया ने देखा। यह सब भारत सरकार के मजबूत और निर्णायक समर्थन के कारण ही संभव हो पाया—ऐसा मत सेवानिवृत्त लेफ्टनंट जनरल विनायक पाटणकर, ले. जनरल एस. एस. हसबनीस और एयर मार्शल एस. एस. सोमण ने व्यक्त किया।
युवा सुराज्य प्रतिष्ठान और असीम फाउंडेशन द्वारा पुणे के कोथरुड स्थित यशवंतराव चव्हाण नाट्यगृह में “ऑपरेशन सिंदूर – नए भारत की शक्ति का प्रकटीकरण” विषय पर एक विशेष संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार उदय निरगुडकर ने लेफ्टनंट जनरल विनायक पाटणकर (सेनि) , ले. जनरल एस. एस. हसबनीस (सेनि) और एयर मार्शल एस. एस. सोमण (सेनि) से संवाद किया। यह संवाद कार्यक्रम ऑपरेशन सिंदूर के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने वाला और भारत की सैन्य शक्ति से परिचित कराने वाला था। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदादा पाटिल प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बोलते हुए ले. जनरल विनायक पाटणकर (सेनि) ने कहा कि जब सामने वाला दुश्मन शांति की भाषा नहीं समझता, तो युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। आज हमारी सेना इतनी ताकतवर हो चुकी है कि उसका कोई मुकाबला नहीं। रक्षा सामग्री के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन चुका है, और यह सब भारत सरकार के दृढ़ समर्थन के कारण संभव हो पाया है।
उन्होंने आगे कहा कि देश का हर नागरिक एक सैनिक है और उसे भी दुश्मन के प्रतिकार के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। युद्ध केवल सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि आंतरिक रूप से भी लड़ा जाता है। साइबर हमला आज एक बड़ा खतरा बन चुका है, और इसके खिलाफ भी हर भारतीय को सजग रहना होगा।
ऑपरेशन सिंदूर की पूर्व तैयारी और सफलता के बारे में जानकारी देते हुए ले. जनरल एस. एस. हसबनीस (सेनि) ने कहा कि इससे पहले भी देश में आतंकी हमले हुए हैं, लेकिन अब भारत उसका सटीक और मजबूत जवाब दे रहा है। पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर के तहत जो खुफिया जानकारी जुटाई गई, उसके लिए कई विभाग एकसाथ कार्यरत थे। इस अभियान में कुछ मित्र देशों का सहयोग भी मिला, ऐसा उन्होंने कहा।
वहीं एयर मार्शल एस. एस. सोमण (सेनि) ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में “इंटीग्रिटी” यानी ईमानदारी और समर्पण की भावना सबसे महत्वपूर्ण रही। हर व्यक्ति ने अपनी भूमिका पूरी निष्ठा से निभाई। साथ ही जो इच्छाशक्ति इस मिशन के लिए आवश्यक थी, वह सरकार और सैन्य तंत्र के साथ मजबूती से खड़ी रही, जिससे यह अभियान सफल हो सका।