विधायक के भाई के दबाव में अतिक्रमण विभाग की एकतरफा तोड़फोड़ कार्रवाई
न्यायिक मामला लंबित होने के बावजूद मोशी में की गई कार्रवाई

सस्ते परिवार ने जताया कड़ा विरोध
मोशी:पिंपरी चिंचवड़ महानगरपालिका ने स्थानीय विधायक के भाई के दबाव में आकर मोशी निवासी श्रीमती मंगल हिम्मत सस्ते के होटल के निर्माण कार्य को आज 30 जुलाई 2025 को सुबह अवैध ठहराकर ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई उस समय की गई जब मामला न्यायालय में लंबित था और रोक लगाने की प्रक्रिया न्यायिक स्तर पर चल रही थी। सस्ते परिवार ने इस कार्रवाई का तीव्र विरोध किया है। श्रीमती सस्ते ने कहा कि यह कार्रवाई चिंचवड़ के भाजपा विधायक श्री शंकर जगताप के भाई विजय जगताप के दबाव में की गई है। शहर में हजारों अवैध निर्माण होने के बावजूद केवल उनके होटल को टारगेट किया गया, यह पक्षपातपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण है। उन्होंने बताया कि यह ज़मीन उनकी पुश्तैनी संपत्ति है, जिस पर 2008 से होटल व दुकानें बना रखी हैं और नियमित टैक्स भी चुकाया गया है।
26 जून 2025 को विजय जगताप ने इस भूमि पर झूठा दावा कर अतिक्रमण बताते हुए नगर पालिका में शिकायत दर्ज करवाई और तत्काल कार्रवाई की मांग की। इसके बाद पालिका ने बिना किसी सत्यापन के 24 घंटे में तोड़फोड़ की नोटिस भेज दी। श्रीमती सस्ते ने बताया कि इस जमीन पर 100 वर्षों से उनका कब्जा है और यह मामला जिला सत्र न्यायालय, पुणे में केस नंबर 99/2022 के तहत लंबित है। इसके बावजूद विजय जगताप ने पुरानी, अमान्य रसीद के आधार पर जमीन का दावा कर पालिका पर दबाव डाला।
पालिका अधिकारी श्री आगले से बातचीत के बाद कार्रवाई अस्थायी रूप से रोकी गई थी, लेकिन 4 जुलाई को पुनः नए दस्तावेज़ मांगे गए। वे दस्तावेज़ जमा करने के बाद भी कार्रवाई कर दी गई। इस बीच श्रीमती सस्ते ने अदालत में स्थगन (स्टे) हेतु याचिका भी दायर की थी, जिसकी सुनवाई 6 अगस्त को तय थी। उन्होंने पालिका से तीन महीने की मोहलत भी मांगी थी। श्रीमती सस्ते ने बताया कि वे दिल की मरीज हैं और दो बार हार्ट अटैक झेल चुकी हैं। प्रशासनिक दबाव और धमकियों से उनका मानसिक और आर्थिक नुकसान हुआ है। यह संपत्ति उनके परिवार के जीवनयापन का साधन थी, और शेष जमीन पर वे खेती भी करती थीं।
उन्होंने पिंपरी चिंचवड़ महापालिका और राज्य सरकार से मांग की है कि न्यायालय में लंबित मामलों में किसी प्रकार की कार्रवाई न की जाए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दबाव में आम नागरिकों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई लोकतंत्र के खिलाफ है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।