
पुणेः आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सकारात्मक और रचनात्मक उपयोग किया जाए तो यह कार्य की गति कई गुना बढ़ा सकता है और मानवता के समक्ष खड़े कई जटिल संकटों का समाधान भी दे सकता है। लेकिन, चाहे तकनीक कितनी भी उन्नत क्यों न हो, उसे सदैव मानवीय स्पर्श की आवश्यकता रहेगी। इसलिए एआई को संकट नहीं, बल्कि अवसर के रूप में देखना चाहिए, ऐसा मत एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन के अधिष्ठाता डॉ. नचिकेत ठाकुर ने व्यक्त किया। वे यहाँ आयोजित डिज़ाइन सिंक इस एक दिवसीय परिषद में बोल रहे थे।
इस परिषद में गूगल की यूएक्स शोधकर्ता केतकी आगाशे, ट्यूरिंग लैब्स के सीईओ मनोज कोठारी, लैंडोर कंपनी के डिज़ाइनर आर्यन शर्मा तथा सिमरन चोपड़ा विशेष रूप से उपस्थित थे।
डॉ. ठाकुर ने आगे कहा कि एमआईटी एडीटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन देश की अग्रगण्य संस्थाओं में से एक है। इस वर्ष एनआईआरएफ रैंकिंग में डिज़ाइन समूह के अंतर्गत संस्थान को राष्ट्रीय स्तर पर 150-200 के बीच स्थान प्राप्त हुआ है। साथ ही QS रैंकिंग में भी विभाग ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। संस्था छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए वर्षभर “मेराकी” और “कारी” जैसे कला महोत्सवों सहित अनेक उपक्रम आयोजित करती है। परिषद का मुख्य उद्देश्य डिज़ाइन और एआई के समन्वय से भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करना और छात्रों को विशेषज्ञों का मार्गदर्शन उपलब्ध कराना है।
इस अवसर पर ट्यूरिंग लैब्स के मनोज कोठारी ने कहा कि हमारी कंपनी यूएक्स और तकनीकी क्षेत्र में निरंतर नवाचार कर रही है। एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी के साथ हमारे एमओयू के अंतर्गत हर वर्ष कई गतिविधियाँ संचालित की जाती हैं। आज हर क्षेत्र में डिज़ाइन की आवश्यकता है और सृजनात्मकता ही डिज़ाइन की आत्मा है। जब तक डिज़ाइनर में रचनात्मकता है, तब तक उसकी कला अमर है।
केतकी आगाशे, आर्यन शर्मा और सिमरन चोपड़ा ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए छात्रों को मार्गदर्शन दिया।