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ग्रामविकास में जनसहभाग से ‘मुख्यमंत्री समृद्ध पंचायतराज अभियान’ को सफल बनाएं – ग्रामविकास एवं पंचायत राज मंत्री जयकुमार गोरे

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पुणे। ग्रामविकास की भूमिका आम जनता तक पहुँचे, योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन हो और ग्रामीण विकास को गति मिले, इसी उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री समृद्ध पंचायतराज अभियान’ की रचना की गई है। इस अभियान का मूल आधार जनसहभाग है और इसे सफल बनाने के लिए सभी घटकों को साथ लेकर कार्य करना आवश्यक है। यह आह्वान ग्रामविकास एवं पंचायत राज मंत्री जयकुमार गोरे ने किया।

वे गणेश कला क्रीड़ा मंच, पुणे में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला में बोल रहे थे। इस अवसर पर ग्रामविकास विभाग के प्रधान सचिव एकनाथ डवले, यशदा के उपमहानिदेशक एवं राज्य ग्रामीण विकास संस्थान के संचालक डॉ. मल्लिनाथ कलशेट्टी, पुणे जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गजानन पाटिल, आदर्श ग्राम योजना के कार्याध्यक्ष पद्मश्री पोपटराव पवार, पंचायत राज संचालक गिरीश भालेराव, यशदा के प्रवीण प्रशिक्षक लक्ष्मीकांत शिंदे सहित अनेक मान्यवर उपस्थित थे।

मंत्री गोरे ने बताया कि अभियान की शुरुआत 17 सितंबर को होगी। यह 100 दिनों तक चलेगा और प्रत्येक तहसील में 20 गाँवों का चयन किया जाएगा। इस प्रकार राज्य के 7 से 7.5 हजार गाँव इस अभियान में शामिल होंगे। इनमें से 1920 गाँवों को विशेष पुरस्कार दिए जाएंगे। अच्छा कार्य करने वाली जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्रामपंचायतों को भी सम्मानित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरपंच, अधिकारी और स्थानीय संगठन जैसे महिला बचत गट, युवक मंडल, नेहरू युवा केंद्र, पूर्व सैनिक संघ, ज्येष्ठ नागरिक संघ, गणेश मंडल और वृक्षप्रेमी संगठन सभी को अभियान से जोड़ना होगा। समृद्ध महाराष्ट्र के लिए सक्षम पंचायत ही वास्तविक आधार है।

अभियान के अंतर्गत ग्रामपंचायत सशक्तिकरण, ग्रामीण योजनाओं का 100 प्रतिशत कार्यान्वयन, ग्रामीण प्रतियोगिताएँ तथा उपलब्धि आधारित पुरस्कार योजना लागू की जाएगी। 100 प्रतिशत घरकुल योजना, 100 प्रतिशत आयुष्मान भारत कार्ड वितरण, श्मशानभूमि विकास जैसे कार्य करने वाले गाँवों को विशेष पुरस्कार दिए जाएंगे।

इस अवसर पर पद्मश्री पोपटराव पवार ने हिवरे बाजार गाँव के श्रमदान और जनसहभाग आधारित विकास मॉडल का उल्लेख करते हुए कहा कि एक सरपंच और ग्रामसेवक ठान लें तो विकास की बड़ी मशीनरी गाँव में खड़ी हो सकती है।

कार्यशाला का उद्देश्य अभियान शुरू करने से पहले सभी अधिकारियों को प्रशिक्षण देना था। प्रधान सचिव एकनाथ डवले ने कहा कि ग्रामीण जनसंख्या 50 प्रतिशत है, ऐसे में “विकसित महाराष्ट्र 2047” के लिए गाँवों की संस्थाओं को और मजबूत करना, नागरिकों की आय बढ़ाना और टिकाऊ उपजीविका साधन उपलब्ध कराना आवश्यक है।

डॉ. कलशेट्टी ने अभियान की रूपरेखा और सफलता में जनसहभाग की महत्ता पर प्रकाश डाला। वहीं गोंदिया जिले के डव्वा गाँव की सरपंच योगेश्वरी चौधरी ने अपने गाँव में किए गए सुधारों का अनुभव साझा किया।

इस अवसर पर पंचायत विकास सूचकांक में राज्य के प्रथम 10 जिला परिषदों, पंचायत समितियों, ग्रामपंचायतों और राज्यस्तरीय टीम का भी सम्मान किया गया। राज्यभर से जिला परिषदों के सीईओ, एडीसीईओ, प्रकल्प संचालक, पंचायत समिति गटविकास अधिकारी, सरपंच और ग्रामपंचायत अधिकारी कार्यशाला में उपस्थित रहे। ये सभी अपने-अपने जिलों में प्रवीण प्रशिक्षक के रूप में कार्य करेंगे।

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