सूर्यदत्त’ के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया को ‘छत्रपति संभाजी महाराज राष्ट्रीय शिक्षणरत्न पुरस्कार’ से सम्मानित
छत्रपति संभाजी महाराज के नाम से मिला सम्मान मेरे लिए सर्वोच्च प्रेरणा - प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया

पुणे: शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय योगदान के लिए सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक
अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया को ‘छत्रपति संभाजी महाराज राष्ट्रीय शिक्षणरत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया
गया। यह सम्मान अखिल भारतीय मराठी साहित्य परिषद की ओर से पुणे में आयोजित छत्रपति संभाजी महाराज
मराठी साहित्य सम्मेलन के अवसर पर प्रदान किया गया।
इस अवसर पर प्रसिद्ध अभिनेता ठाकुर अनुप सिंह और रोहित रॉय, परिषद के अध्यक्ष डॉ. शरद गोरे, साहित्यकार
किशोर टिळेकर, संतोष नारायणकर, सूर्यकांत नामुगडे, अमोल कुंभार, विजया गायकवाड़ सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति
उपस्थित थे। सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट्स के कार्यकारी अधिकारी अक्षित कुशाल, विभिन्न संस्थानों के प्राचार्य,
प्राध्यापक, विद्यार्थी और अन्य मान्यवरों की उपस्थिती में यह सन्मान समारोह संपन्न हुआ। डॉ. चोरडिया के शिक्षा,
समाजसेवा और अनुसंधान के क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे बहुमूल्य योगदान को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह राष्ट्रीय
सम्मान प्रदान किया गया।
डॉ. शरद गोरे ने कहा, “प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया का कार्य केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है। उन्होंने शिक्षा को
सामाजिक परिवर्तन का प्रभावी माध्यम बनाया है। समाज के विकास के लिए उन्होंने निस्वार्थ भाव से अपना जीवन
समर्पित किया है। उनके कार्य से प्रेरणा, समर्पण और राष्ट्रभक्ति का संदेश मिलता है। छत्रपति संभाजी महाराज के शौर्य,
त्याग और प्रेरणादायी व्यक्तित्व से समानता रखने वाले उनके कार्य के लिए हम उन्हें यह पुरस्कार प्रदान कर रहे हैं।”
सम्मान स्वीकार करते हुए प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा, “छत्रपति संभाजी महाराज राष्ट्रीय शिक्षणरत्न पुरस्कार
मेरे लिए केवल सम्मान नहीं है, बल्कि यह शिक्षा और समाजसेवा में एक निष्ठावान योद्धा की तरह निरंतर समर्पित रहने
की प्रेरणा भी देता है। यह मेरे जीवन का सर्वोच्च सम्मान है, जो मेरे कार्य को नई दिशा और सामाजिक जिम्मेदारी का
बोध कराता है। इस सम्मान के लिए मैं डॉ. शरद गोरे और अखिल भारतीय मराठी साहित्य परिषद का हृदय से आभारी
हूं।”
उन्होंने आगे कहा, “सूर्यदत्त संस्थान में हम हमेशा विद्यार्थियों को छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी
महाराज के विचार, पराक्रम और नेतृत्व की सीख देते हैं। विद्यार्थी उनके साहस, दूरदृष्टि और कर्मनिष्ठा से प्रेरणा लेकर
समाज में सम्मान, निष्ठा और जिम्मेदारी के उदाहरण प्रस्तुत करें, यही हमारी अपेक्षा रहती है। साहस केवल शब्दों में
नहीं, बल्कि सत्कर्मों में दिखना चाहिए। संयम और जिम्मेदारी के साथ कार्य करना ही महाराजों के जीवन की सच्ची
प्रेरणा है, जो हर विद्यार्थी के जीवन में प्रकाश बन सकती है।”



