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२३वां पुणे बुक फेयर प्रारंभ

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“ज्ञान-संपन्न समाज की ओर” इस मूलमंत्र पर आधारित पश्चिम भारत का सबसे बड़ा ग्रंथ और शिक्षा प्रदर्शनी — “पुणे बुक फेयर 2025”*अथवा *“पुणे पुस्तक यात्रा”* — का आयोजन सेंट्रल पार्क, आपटे रोड, पुणे में किया गया है। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष-निर्वाचित वरिष्ठ साहित्यकार श्री विश्वास पाटिल के हाथों हुआ। प्रमुख अतिथियों में सहायक आयुक्त स्वाती देशमुख, प्रा. मिलिंद जोशी (अध्यक्ष, महाराष्ट्र साहित्य परिषद),सुनिता राजे पवार, श्री इंद्रजीत बागल* (सहायक निदेशक, प्रसार भारती), प्रा. संजय चोरडिया (संस्थापक अध्यक्ष, सूर्यमत्ता ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट्स), पी. एन. आर. राजन, शिरीष चिटणीस और वि. दा. पिंगळे उपस्थित थे।

इस प्रदर्शनी में देशभर के नामी पुस्तक विक्रेता, वितरक, प्रकाशक और शैक्षणिक संस्थाएं भाग ले रही हैं। व्यापार, कानून, धर्म, राजनीति, गणराज्य, लोक साहित्य, कविता, अध्यापन-प्रशिक्षण जैसे अनेक विषयों पर अंग्रेजी, मराठी, हिंदी, उर्दू, संस्कृत तथा विदेशी भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध हैं। समाचार पत्र, साप्ताहिक, पत्रिकाएं और संदर्भ ग्रंथ भी एक ही छत के नीचे रखे गए हैं।

६२ स्टॉल्स में सरकारी प्रकाशन (जैसे बालभारती, जनगणना विभाग, भारत सरकार का पब्लिकेशन्स डिविजन, नेशनल फिल्म आर्काइव्स ऑफ इंडिया) सहित सभी आयु वर्गों के लिए शैक्षणिक पुस्तकें प्रदर्शित की गई  है

विश्वास पाटिल ने कहा “मराठी एक सुंदर भाषा है। मराठी माध्यम के विद्यालयों का विस्तार होना चाहिए, क्योंकि वहीं से भविष्य के ज्ञानेश्वर और तुकाराम पैदा होंगे। मोबाइल युग में अनुशासन रखकर प्रतिदिन दो घंटे पढ़ने की आदत डालिए — पढ़ने से आत्मिक आनंद और शांति मिलती है।”

इंद्रजीत बागल ने कहा:> “आकाशवाणी और दूरदर्शन लोगों तक अच्छा साहित्य और कविता पहुंचा रहे हैं। आज मोबाइल और इंटरनेट के कारण पढ़ने की आदत कम हुई है, लेकिन विदेशों में अब यह प्रवृत्ति उलटी हो रही है। भारत में भी जल्द ही ऐसा परिवर्तन देखने को मिलेगा।” प्रा. मिलिंद जोशी ने कहा कि ऐसे प्रदर्शनी विविधता में एकता लाती हैं, और धर्म, प्रांत व भाषा को जोड़ती हैं। “वाचन संस्कृति को बढ़ाने के लिए लोगों को टीवी और मोबाइल से दूर रहकर डिजिटल उपवास करना चाहिए। ऐसे ग्रंथ प्रदर्शन ग्रामीण क्षेत्रों में भी होने चाहिए।” सुनिता राजे पवार और स्वाती देशमुख ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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