पुणे मनपा चुनाव के लिए 2002 का फॉर्म्युला अपनाने की मांग

पुणे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा चार महीनों के भीतर चुनाव कराने के आदेश के बाद पुणे नगर निगम चुनावों के लिए 2002 जैसे हालात बन गए हैं। ऐसे में पूर्व विरोधी पक्षनेता उज्ज्वल केसकर और सुहास कुलकर्णी ने मांग की है कि इस बार भी 2002 का मॉडल अपनाया जाए ताकि समयबद्ध चुनाव हो सकें।
2002 में पुराने क्षेत्र के वार्डों में पहले चुनाव हुए थे और फिर बाद में शामिल गांवों के लिए अलग से चुनाव कराए गए थे, लेकिन दोनों चुनावों की मतगणना एक साथ हुई थी। आज भी वैसी ही स्थिति है – 2017 की प्रभाग रचना पहले से मौजूद है और बाद में जो 32 गांव (पहले 34, जिनमें से 2 हटाए गए) निगम में शामिल हुए, उनके लिए नई प्रभाग रचना अभी बननी बाकी है।
केसकर ने कहा कि यह मॉडल फिर से लागू कर चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। राज्य चुनाव आयोग को जल्द एक कृती आराखड़ा (एक्शन प्लान) सौंपा जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि 2022 में दाखिल की गई उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ऐसे ही आदेश दिए थे, लेकिन तब सरकार और आयोग ने उसे नज़रअंदाज़ किया था।
अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने फिर से स्पष्ट आदेश दिए हैं, केसकर ने मांग की है कि तुरंत प्रभाग रचना पूरी की जाए और चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाए, ताकि पुणे को फिर से एक लोकप्रतिनिधित्व वाली नगर पालिका मिल सके।