सात लाख बत्तीस हजार युवा ऐसे ही शहीद हुए?_ पतितपावन संगठन के देशमुख का सवाल
महान शहीद क्रांतिकारी भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को कसबा जनसभा में श्रद्धांजलि अर्पित

पुणे. देश की स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले लाखों वीरों को भुला दिया गया है, और कई दशकों से यह झूठा प्रचार किया जा रहा है कि स्वतंत्रता बिना किसी संघर्ष के मिली। इससे कई क्रांतिकारियों का अपमान हुआ है। यह विचार पतितपावन संगठन के महाराष्ट्र प्रांत अध्यक्ष सोपानराव देशमुख ने रविवार शाम पुणे के कसबा पेठ में आयोजित एक जनसभा में व्यक्त किए। इस अवसर पर शहीद भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर देशमुख ने शहीदों को भूले जाने पर सवाल करते हुए पूछा, “क्या 7 लाख 32 हजार युवा ऐसे ही शहीद हो गए?” इसके साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के अप्रकाशित योगदान को रेखांकित किया। इस सभा में हजारों लोग कसबा गणपति मंदिर के सामने उपस्थित हुए थे।
सभा में उपस्थित सभी लोगों का प्रदेश प्रवक्ता अली दारूवाला ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर पतितपावन संगठन के प्रांत उपाध्यक्ष बाळासाहेब भामरे, प्रांत उपाध्यक्ष राजाभाऊ पाटील, शहर अध्यक्ष श्रीकांत शिळीमकर, शहर कार्याध्यक्ष गोकुल शेलार, पुणे शहर पालक मनोज नायर, उपाध्यक्ष पप्पू टेमघरे, सरचिटणीस मनोज पवार, उपाध्यक्ष अरविंद परदेशी, निलेश जोशी, विजय गावडे समेत कई अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे।
भगतसिंग, सुखदेव और राजगुरू को फांसी दिए जाने के दिन को पतितपावन संगठन और कई हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा इस दिन को ‘क्रांति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
क्रांतिकारियों की परंपरा और इतिहास के साथ अन्याय
देशमुख ने कहा, “भारत क्रांति की भूमि है। ज्ञानदेव से शुरू हुई परंपरा से लेकर समर्थ रामदास, छत्रपति शिवाजी महाराज से मंगल पांडे, झांसी की रानी से लेकर महात्मा फुले और क्रांतिवीर लहुजी वस्ताद तक, यह परंपरा सदैव जीवंत रही है। लेकिन स्वातंत्र्यवीर सावरकर और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के योगदान की अवहेलना की गई।” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देश के ध्वज को भगवा बनाने और संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने के महापुरुषों के प्रयासों को विफल कर दिया गया।अपने भाषण में देशमुख ने यह भी आरोप लगाया कि हमने ब्रिटिश उपनिवेशवादियों और दमनकारी आक्रमणकारियों को इतिहास में नायक बना दिया है।
इतिहास को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने की मांग
सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहकार्यवाह प्रसाद लवळेकर ने कहा, “भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु का इतिहास मात्र परीक्षा में दो अंकों के सवाल तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उनका वास्तविक इतिहास लोगों तक पहुंचना चाहिए।” प्रदेश सरचिटणीस नितीन सोनटक्के ने अपने भाषण में आरोप लगाया कि “कांग्रेस ने हिंदुत्ववादी संगठनों को बदनाम कर उन पर प्रतिबंध लगाए,” और यह भी कहा कि “राजनीतिक हिंदुत्व की रक्षा की जानी चाहिए।” सभा का आयोजन शहीदों के बलिदान को याद करने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के उद्देश्य से किया गया था। इस जनसभा में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी भी देखने को मिली।