
पुणे, : जैसे-जैसे भारत बाल टीकाकरण में प्रगति कर रहा है, विशेषज्ञ माता-पिता और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से आग्रह कर रहे हैं कि वे बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण चरण—स्कूल प्रवेश की उम्र में डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टूसिस और पोलियो की बूस्टर डोज़—को नजरअंदाज न करें।
शैशवावस्था में किया गया प्राथमिक टीकाकरण प्रारंभिक सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन वैज्ञानिक प्रमाण दर्शाते हैं कि डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टूसिस और पोलियो के खिलाफ प्रतिरक्षा समय के साथ कम हो जाती है। यदि बच्चों को समय पर बूस्टर डोज़ नहीं दी जाती, तो स्कूल जाने और अधिक लोगों के संपर्क में आने के दौरान उन्हें गंभीर बीमारियों का खतरा हो सकता है।
भारतीय राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम (एनआईपी) 6, 10 और 14 सप्ताह की उम्र में डीटीपी वैक्सीन की खुराक की सिफारिश करता है, इसके बाद 16–24 माह में एक बूस्टर डोज़ दी जाती है, और पोलियो की दो अंशीय खुराक 6 और 14 सप्ताह की उम्र में दी जाती हैं। लेकिन जब बच्चा 4–6 वर्ष की आयु तक पहुंचता है, तो उसकी सुरक्षात्मक एंटीबॉडी का स्तर घटने लगता है, जिससे वह संक्रमण और संभावित प्रकोप के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
डॉ. अमित निगड़े, सलाहकार नियोनेटोलॉजिस्ट एवं पीडियाट्रिशन, क्लाउड नाइन हॉस्पिटल, ने कहा की, स्कूल में प्रवेश केवल बच्चे की शिक्षा में ही नहीं, बल्कि उसके स्वास्थ्य सफर में भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। इस उम्र तक आते–आते प्रारंभिक टीकों द्वारा दी गई सुरक्षा कमजोर पड़ने लगती है, ठीक उसी समय जब बच्चे समूह में अधिक समय बिताने लगते हैं। 4 से 6 वर्ष की उम्र के बीच डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टूसिस और पोलियो की अनुशंसित बूस्टर डोज़ देना यह सुनिश्चित करता है कि प्रतिरक्षा समय पर दोबारा सक्रिय हो सके और इस नए जीवन चरण में भी निरंतर सुरक्षा मिलती रहे।
”भारतीय बाल रोग अकादमी (आईएपी) आधुनिक संयोजन वैक्सीन के उपयोग की सिफारिश करती है, जो एक ही खुराक में कई संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये विशेष रूप से स्कूल के वर्षों के दौरान उपयोगी हैं, जब संक्रमण का खतरा अधिक होता है, और ये भारत को पोलियो मुक्त बनाए रखने जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धियों को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं।
“समय पर बूस्टर टीकाकरण बच्चे और पूरे स्कूल समुदाय के स्वास्थ्य की रक्षा करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह चरण पहले दिए गए टीकों के लाभ को मजबूत करने और बीमारियों के दोबारा उभरने के खतरे को कम करने का अवसर प्रदान करता है। यह व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य उच्च टीकाकरण कवरेज बनाए रखना और टीकों से बचाव योग्य बीमारियों के खिलाफ देश की प्रगति को सुरक्षित रखना है,” डॉ. अमित निगड़े जोड़ते हैं।
जैसे-जैसे अधिक लोग टीकाकरण के महत्व को समझने लगे हैं, कई स्कूल अब प्रवेश के समय अद्यतन स्वास्थ्य और टीकाकरण रिकॉर्ड मांग रहे हैं। टीकाकरण केवल एक बार की जाने वाली प्रक्रिया नहीं है — इसे नियमित रूप से पूरा करना आवश्यक है ताकि हम स्वस्थ रह सकें। सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा स्कूल शुरू करने से पहले पूरी तरह सुरक्षित हो। यह उन्हें सुरक्षित रखने और सभी के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है।