
पुणे.फोकलोर ॲन्ड कल्चरल हेरिटेज फाउंडेशन, पुणे द्वारा श्रमिक पत्रकार भवन में एक दिवसीय वसंत महोत्सव का आयोजन किया गया। वसंतोत्सव का उद्घाटन सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के ललित कला केंद्र की प्रमुख डॉ. प्रवीण भोले ने किया। वसंतोत्सव का शुभारम्भ मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ अत्यंत हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण में हुआ। सबसे पहले चैत्र गौरी या चैत्रंगना की पूजा की गई। तत्पश्चात मुख्य अतिथि डॉ. जीतेन्द्र पानपाटिल, प्रवीण भोले, शैला खांडगे एवं फाउंडेशन निदेशक डॉ. सुनीता धर्मराव द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया। फिर कार्यक्रम शुरू हुआ. इस अवसर पर वसंतोत्सव कार्यक्रम की भूमिका एवं परिचय डा. सुनीता धर्मराव द्वारा दिया गया।
इस अवसर पर मृणालिनी खंडारे, लोककथा विद्वान और उद्यमी प्रो. शैला खांडगे, प्राचार्य, कृषि विशेषज्ञ, पटकथा लेखक, डॉ. सुवर्णा बिभीषण चावरे और अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में डॉ. सुखदा खांडगे ने कथक प्रस्तुत किया तथा गौरी वनारसे एवं निकिता बहिरत द्वारा संबल के शक्तिशाली वादन से देवी को जागृत किया गया। इसके साथ ही अश्विनी छत्रपति एवं उनके साथियों द्वारा महिलाओं के खेल फुगड़ी, भोंडला, मंगलागौरी जैसी पारंपरिक लोक कलाएं प्रस्तुत की गईं। रेशमा परितेकर ने शानदार लावणी प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया।
इसके बाद विभिन्न क्षेत्रोंसे से जुड़ी महिलाओं को सम्मानित किया गया। भाग्यश्री देसाई, नीलिमा पटवर्धन, संध्या पुजारी और ममता सपकाल को सम्मानित किया गया। लोकगीत एवं सांस्कृतिक विरासत फाउंडेशन की संचालक डॉ. सुनीता धर्मराव ने कहा कि महाराष्ट्र में बहुत बड़ी पारंपरिक लोक कला की विरासत को संरक्षित करना जरूरी है। हम इस विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन तन्मयी जोशी ने किया।
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मिट्टी, नीति और संस्कृति को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए – ममता सिंधुताई सकपाल
मुझे खुशी है कि पारंपरिक लोक कला को वसंतोत्सव में स्थान मिला । फोकलोर ॲन्ड कल्चरल हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा पारंपरिक लोक कला को पुनर्जीवित किया जा रहा है। मेरा मानना है कि हमें अपनी मिट्टी, अपने मूल्यों और अपनी संस्कृति से नाता नहीं खोना चाहिए।