एम्बुलेंस सेवा न मिलने बुजुर्ग का पार्थिव शरीर को अस्पताल में करना पड़ा घंटों इंतजार
डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर अस्पताल खड़की में 8 दिन से एम्बुलेंस सेवा ठप

पुणे . खड़की –पुणे के खड़की छावनी क्षेत्र में स्थित भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर सामान्य अस्पताल में बीते 8 दिनों से एम्बुलेंस सेवा पूरी तरह ठप पड़ी हुई है। यह स्थिति तब और गंभीर हो गई जब बुधवार देर रात एक बुजुर्ग की मृत्यु के बाद परिजनों को शव ले जाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा, क्योंकि अस्पताल के पास न तो एम्बुलेंस थी और न ही वैकल्पिक कोई सुविधा भी नहीं है।
मामला बुधवार रात बुधवार की मध्य रात्रि करीब 12:00 बजे खड़की के भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर सामान्य अस्पताल में एक बुजुर्ग की मृत्यु हो गई। परिजनों के अनुसार, जब उन्होंने शव घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस की मांग की, तो अस्पताल प्रशासन ने असमर्थता जताई और कहा कि पिछले 8 दिनों से अस्पताल की एम्बुलेंस खराब है। इसके साथ ही अस्पताल प्रशासन ने उनके परिजनों को शव को घर ले जाने के लिए कोई शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया।
स्थानीय नागरिकों और मृतक के परिजनों के अनुसार, उन्होंने अस्पताल प्रशासन से कई बार आग्रह किया, लेकिन कोई सहयोग नहीं मिला। नतीजन, कई घंटे तक बुजुर्ग का पार्थिव शरीर अस्पताल में ही पड़ा रहा। इसके बाद टेम्पो बुलकर पार्थिव शरीर उनके घर भेजा गया.
यह घटना छावनी प्रशासन की लापरवाही और कुप्रबंधन को उजागर करती है। एक ओर सरकार नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर खड़की जैसे महत्वपूर्ण छावनी क्षेत्र में ऐसी बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं होना गंभीर चिंता का विषय है।
स्थानीय लोगों ने इस मुद्दे को लेकर गहरा रोष जताया है। उनका कहना है कि यदि छावनी परिषद इस तरह काम करती रही, तो नागरिकों को भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत आंदोलन और विरोध प्रदर्शन करना पड़ेगा।स्थानीय लोगों लोगों का कहना है कि , खड़की के बाबासाहेब अंबेडकर अस्पताल में पिछले पूरे 8 दिनों से एम्बुलेंस की सुविधा ही मौजूद नहीं है। न मरीजों को वक्त पर इलाज के लिए लाया जा सकता है, और न ही मृतकों के शव को उनके घर तक ले जाने की कोई व्यवस्था की गई है। साथ ही उन्होंने कहा
यह कोई तकनीकी खराबी नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही है, जो लगातार 8 दिनों तक मरीजों और उनके परिजनों की पीड़ा को अनदेखा करती रही। सोचिए, जब अस्पताल जैसा संस्थान, जहां जीवन और मृत्यु की लड़ाई हर पल चलती है — वहीं एम्बुलेंस जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव हो, तो यह सिर्फ असुविधा नहीं, ये सिस्टम की संवेदनहीनता है।”