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निर्माण क्षेत्र की योजना चार सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए -अर्जुन धवन

निकमार यूनिवर्सिटी में ९वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन

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पुणे,  “विचारों की स्पष्टता, शिक्षा, अनुशासन और स्थिरता—इन चार सिद्धांतों के आधार पर निर्माण क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाया जा सकता है। भविष्य में जब लाखों ग्रामीण लोग शहरों की ओर पलायन करेंगे, तब नगर नियोजन अत्यंत महत्वपूर्ण होगा और भूमि अधिग्रहण का मुद्दा सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण विषय होगा।” ये विचार हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अर्जुन धवन ने व्यक्त किए।


निकमार यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट मैनेजमेंट (ICCRIP) विषय पर आधारित दो दिवसीय ९वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि वे बोल रहे थे।
इस अवसर पर सीडीआईआर के महानिदेशक अमित प्रोथी, यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एवं मुख्य संरक्षक प्रो. डॉ. विजय गुपचुप, कुलपति डॉ. सुषमा एस. कुलकर्णी, महानिदेशक डॉ. तपश कुमार गांगुली, तथा सम्मेलन समन्वयक एवं अनुसंधान एवं विकास विभाग के डीन डॉ. रजनीकांत राजहंस उपस्थित थे।
अर्जुन धवन ने कहा, “देश में इस उद्योग में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। यह तकनीक-संचालित क्षेत्र तेज गति से बदल रहा है, जिसमें दक्षता, नवाचार और स्थिरता शामिल हैं। भारतीय निर्माण बाजार २०२५ तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनने के लिए तैयार है, जिसका मूल्य १.४ ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होगा। देश में सड़क और मेट्रो नेटवर्क का विस्तार तेज़ी से होगा। इसके लिए न केवल राजनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता है, बल्कि इंजीनियरों और नगर योजनाकारों की भी बड़ी मांग होगी।”
“निर्मित परिवेश में अवसंरचना हमारे जीवन स्तर की रीढ़ है। यह हमारे देश की आर्थिक और सामाजिक आकांक्षाओं को दिशा देती है। अवसंरचना में निवेश का आर्थिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस क्षेत्र के छात्रों के लिए स्थापत्य कला की स्पष्टता, परियोजना समन्वय में अनुशासन और स्थिरता की भूमिका को अपनाना अत्यंत आवश्यक है।”
अमित प्रोथी ने कहा, “एक विकसित भारत के लिए २०५० तक अवसंरचना और निवेश सेवाओं में १० ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की आवश्यकता होगी। प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए क्षमता निर्माण, नई नीतियां तैयार करना, योजना और प्रबंधन पर अधिक जोर दिया जाएगा। इससे ३ अरब से अधिक लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा। आपदा के बाद पुनर्प्राप्ति और त्वरित कार्रवाई के लिए सरकार, निजी उद्यमों और समुदायों की क्षमता को सुदृढ़ करना आवश्यक है।”
डॉ. सुषमा कुलकर्णी ने कहा, “आधुनिक युग में तकनीक की मदद से लोगों का जीवन आसान और सुखद हुआ है। इसका सकारात्मक प्रभाव निर्माण क्षेत्र पर भी पड़ा है। इस क्षेत्र में नए शोध, बाजार, केस स्टडी, स्टार्टअप, नवाचार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का व्यापक उपयोग किया जा सकता है। गुजरात में पुल गिरने की घटना का कारण उचित रखरखाव न होना बताया गया था। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सिविल क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों को अपनाना जरूरी है। इस क्षेत्र में तकनीक का उपयोग एक उपकरण के रूप में किया जाना चाहिए।”
प्रो. डॉ. विजय गुपचुप ने कहा, “२०२२ में निकमार को विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। चूंकि निर्माण क्षेत्र लगातार बदल रहा है, इसलिए विश्वविद्यालय उद्योग, शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार से जुड़ी कंपनियों के साथ सहयोग करके छात्रों को सर्वांगीण विकास का अवसर दे रहा है।”
डॉ. तपश कुमार गांगुली ने कहा, “निर्माण क्षेत्र के माध्यम से लोगों के जीवन को सुगम और सुखद बनाने के लिए उत्कृष्ट स्मार्ट सिटी का निर्माण संभव है। निकमार द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में छात्रों को अनुसंधान, नीतियों और प्रौद्योगिकी से संबंधित नवीनतम जानकारी प्राप्त होगी।”
डॉ. रजनीकांत राजहंस ने स्वागत भाषण में कहा कि “इस सम्मेलन में १८ देशों के २०० से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं। छह प्रमुख श्रेणियों पर केंद्रित इस सम्मेलन में अनुसंधान, केस स्टडी, डॉक्टरेट सेमिनार, पेशेवरों के दृष्टिकोण, उद्योग प्रदर्शनियां और हैकाथॉन शामिल हैं।”
एल एंड टी के कार्यकारी समिति के सदस्य एवं अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक के सलाहकार एम. वी. सतीश ऑनलाइन उपस्थित थे। उन्होंने कहा, “निर्माण क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में ८ से ९ प्रतिशत का योगदान देता है।” सम्मेलन का संचालन छात्र ने किया।

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