
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान (NIN), पुणे आयुष मंत्रालय, भारत सरकार का एक स्वायत्तशासी संस्थान है, जिसकी स्थापना महात्मा गांधी के प्राकृतिक चिकित्सा और प्रकृति के अनुरूप जीवन जीने के विचारों से प्रेरित होकर की गई। संस्थान का ऐतिहासिक संबंध बापू से रहा है। महात्मा गांधी ने अपने जीवन में प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाया और इसे आम जनता तक पहुँचाने का कार्य किया। यही कारण है कि पुणे स्थित इस संस्थान को उनकी स्मृतियों से जुड़ी धरोहर माना जाता है।
महात्मा गांधी न केवल प्राकृतिक चिकित्सा के प्रबल समर्थक थे बल्कि हिंदी भाषा के प्रति उनका गहरा प्रेम भी सर्वविदित है। उन्होंने कहा था कि “हिंदी ही राष्ट्रभाषा हो सकती है, जो पूरे देश को एक सूत्र में पिरो सकती है।” गांधीजी का मानना था कि स्वदेशी भाषा का प्रयोग आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक एकता की आधारशिला है।
इसी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए संस्थान में 15 सितंबर 2025 से हिंदी पखवाड़े का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर आयोजित की जाने वाली विविध प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई, जिनका उद्देश्य कर्मचारियों और विद्यार्थियों में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता और प्रेम उत्पन्न करना है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात लेखक, संपादक एवं हिंदी प्रचारक श्री संजय भारद्वाज उपस्थित रहे। श्री भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी केवल अभिव्यक्ति का साधन नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और पहचान की आत्मा है। उन्होंने सभी को हिंदी भाषा को दैनिक कार्यों और प्रशासनिक दायित्वों में अधिकाधिक अपनाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में संस्थान के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत दिनांक 29 सितंबर 2025 तक विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी । यह जानकारी श्री सौरभ साकल्ले, प्रकाशन अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी (इंचार्ज) ने प्रस्तुत की ।



