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लोककलाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए समिति का गठन किया जाए — उपसभापति डॉ. नीलम गोऱ्ह

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मुंबई, 28 अक्टूबर . राज्य की लोककला, लोकसंस्कृति और पारंपरिक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए एक विशेष समिति का गठन किया जाना चाहिए — ऐसा सुझाव महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोऱ्हे ने दिया है।

विधान भवन में “लोककलाकारों की समस्याएं, चुनौतियां और समाधान” विषय पर आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होंने यह मत व्यक्त किया। इस बैठक में सांस्कृतिक कार्य मंत्री श्री आशिष शेलार, सांस्कृतिक कार्य संचालनालय के संचालक श्री चौरे, पु. ल. देशपांडे महाराष्ट्र कला अकादमी की संचालक मीनल जोगळेकर, लोककला विशेषज्ञ प्रा. डॉ. प्रकाश खांडगे, सुशांत शेलार, लोककलाकार नंदेश उमप, डॉ. भावार्थ देखणे और खंडूराज गायकवाड उपस्थित थे।

डॉ. गोऱ्हे ने कहा, “महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत में लोककलाओं का अमूल्य स्थान है। किंतु आधुनिक समय में इन कलाओं को संरक्षण और प्रोत्साहन देने की अत्यंत आवश्यकता है।”

उन्होंने आगे कहा कि सांस्कृतिक विभाग को लोककलाओं के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करनी चाहिए। इस समिति के माध्यम से लोककलाओं का दस्तावेजीकरण, संग्रहण, तथा लोककलाओं में प्रयुक्त पारंपरिक वस्तुओं का संग्रहालय स्थापित करने का कार्य किया जा सकता है। इसके साथ ही राज्यभर में लोककला महोत्सवों का व्यापक आयोजन भी इस समिति के माध्यम से संभव होगा।

सांस्कृतिक कार्य मंत्री आशिष शेलार ने कहा, कि लोककलाकारों की समस्याओं और उनके समाधान के लिए समिति का गठन आवश्यक है। इस समिति के माध्यम से शिक्षा विभाग से समन्वय स्थापित कर लोककला से संबंधित प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (Certificate Courses) शुरू किए जाएंगे। साथ ही लोककलाकारों के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न योजनाएं भी लागू की जाएंगी।

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