
पुणे। ब्राह्मण महासंघ की ओर से ‘पेशवा क्यों नहीं?’ विषय पर 11 अगस्त 2025 की रात 9 बजे पुणे के बालगंधर्व रंगमंदिर में व्याख्यान आयोजित किया गया। व्याख्याता सुशील कुलकर्णी के इस व्याख्यान को अच्छी प्रतिक्रिया मिली। कार्यक्रम में बोलते हुए कुलकर्णी ने बाजीराव पेशवा के नाम पर पुणे एयरपोर्ट का नाम रखने की मांग की, वहीं ब्राह्मण महासंघ के अध्यक्ष आनंद दवे ने राष्ट्रीय स्तर पर बाजीराव पेशवा पुरस्कार शुरू करने की बात रखी।
इस अवसर पर सचिन बोधनी, अभय ओरपे और गिरीश गुर्जर के नेतृत्व में 100 कार्यकर्ताओं ने हाल ही में ब्राह्मण महासंघ में प्रवेश किया, जिन्हें कार्यक्रम में पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। मनोज तारे ने प्रास्ताविक किया। नितीन शुक्ल को पुणे जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया, साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को महासंघ में पदाधिकारी बनाया गया।
अपने संबोधन में सुशील कुलकर्णी ने 18वीं शताब्दी के हिंदवी स्वराज्य के विस्तार से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं और पेशवाओं के शासनकाल की राजनीतिक, सैन्य और सामाजिक परिस्थितियों का विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “बाजीराव और पेशवाओं का उल्लेख करते समय जाति से ज्यादा कर्तृत्व पर जोर देना चाहिए। पानीपत की लड़ाई के बाद किसी में मराठी राज्य की ओर तिरछी नजर डालने की हिम्मत नहीं हुई। धर्म, धर्मरक्षण और धर्मस्थलों के लिए पेशवाओं ने महान कार्य किए। सिर्फ मस्तानी के संदर्भ में उनका उल्लेख करना गलत है। आने वाली पीढ़ी को पराक्रम के साथ उद्यमिता अपनानी चाहिए और गौरवशाली इतिहास पढ़ना चाहिए।”
अध्यक्ष आनंद दवे ने कहा कि संगठित प्रयासों से दानवीर और वीर पीढ़ी का निर्माण होना चाहिए। पेशवे, सावरकर और फडके जैसे महानायकों का इतिहास किसी विशेष जाति के कारण उपेक्षित नहीं होना चाहिए।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में इतिहास प्रेमी, शोधकर्ता और युवा उपस्थित थे। उपस्थित लोगों ने विषय की प्रस्तुति और गहन विश्लेषण की सराहना की। महासंघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से इतिहास के महत्वपूर्ण पहलुओं पर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास जारी रहेगा।