
पुणे। कोथरुड पुलिस पर मारपीट और जातिवाचक गालियां देने का आरोप लगाने वाली तीन लड़कियों पर ही अब मामला दर्ज हो गया है। श्वेता पाटिल और दो अन्य के साथ कुल पाँच लोगों के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने (धारा 132) का केस बंडगार्डन पुलिस थाने में दर्ज किया गया है।
यह मामला 1 अगस्त को सामने आया था। तीनों लड़कियों ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उनसे बेहद आपत्तिजनक और जातिवाचक भाषा का इस्तेमाल किया। “तुम्ही महारा मांग्याच्या पोरी आहात, किती मुलांसोबत झोपलेत, लेसबियन आहात का?” जैसे अपमानजनक सवाल पूछे गए थे।
इन आरोपों पर कार्रवाई की मांग को लेकर श्वेता पाटिल, परिक्रमा खोत, अंजली आंबेडकर, सुजात आंबेडकर सहित 50-60 लोग 3 अगस्त को सुबह 10 बजे से लेकर रात 3 बजे तक पुणे पुलिस आयुक्तालय के बाहर धरने पर बैठे थे। इस दौरान विधायक रोहित पवार, सामाजिक कार्यकर्ता अंजली और सुजात आंबेडकर भी मौजूद थीं, लेकिन उन पर कोई केस दर्ज नहीं हुआ।
पुलिस जांच के बाद बताया गया कि लड़कियों के आरोपों में कोई तथ्य नहीं मिला। पुलिस की ओर से जारी रिपोर्ट को श्वेता पाटिल ने मौके पर ही फाड़ दिया। वहीं मेडिकल जांच में भी यह पाया गया कि किसी भी लड़की के शरीर पर ताजी चोट या जख्म नहीं था।
आख़िरकार, धरने के दौरान पुलिस दस्तावेज़ फाड़ने और सरकारी कामकाज में बाधा डालने की वजह से श्वेता पाटिल और अन्य पाँच लोगों पर केस दर्ज कर लिया गया। जबकि आंदोलनकारियों की मांग के बावजूद पुलिस के खिलाफ एट्रॉसिटी एक्ट के तहत अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।