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279 परिवारों का घर का सपना ‘महारेरा’ से साकार

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पुणे/तालेगांव.  डीएसके समूह के दिवालिया होने के बाद अधर में अटका डीएसके पलाश-सदाफुली हाउसिंग प्रोजेक्ट अब पूरा हो गया है। करीब 279 परिवारों का घर का सपना ‘महारेरा’ के हस्तक्षेप और नए बिल्डर की नियुक्ति से साकार हुआ। महाराष्ट्र में ऐसी यह पहली सफलता है जब अधूरे प्रोजेक्ट को महारेरा ने नए बिल्डर से पूरा कराया।

डी. एस. कुलकर्णी की गिरफ्तारी के बाद काम बंद पड़ा था। 25 करोड़ रुपये का कर्ज, अधूरा ढांचा और फ्लैटधारकों की टूटती उम्मीदें—इस हालात में उन्होंने महारेरा से मदद मांगी। मार्गदर्शन के लिए निरंजन हिरानंदानी और शिरीष देशपांडे को जोड़ा गया।

किसी बिल्डर ने आगे आने से कतराते समय जी.एस. एसोसिएट्स ने जिम्मेदारी ली। टाटा कैपिटल से 25 करोड़ का कर्ज 7.32 करोड़ में सेटल हुआ और जुलाई 2022 में कंपनी को प्रोजेक्ट सौंपा गया। 2024 में बिल्डर ने काम पूरा कर फ्लैट मालिकों को घर सौंप दिए।

सोसायटी पदाधिकारियों ने महारेरा, हिरानंदानी, देशपांडे और जी.एस. एसोसिएट्स का विशेष आभार जताया।

बिल्डर जीतू पेंहलानी ने कहा—“यह प्रोजेक्ट हमने सामाजिक जिम्मेदारी से पूरा किया। इससे समाज का विश्वास बिल्डरों पर और मजबूत होगा।”

महारेरा क्या है?

महारेरा यानी महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी। यह संस्था मई 2017 से लागू है।
मुख्य उद्देश्‍य:

घर खरीदारों के अधिकार सुरक्षित करना

बिल्डरों में पारदर्शिता बढ़ाना

अधूरे प्रोजेक्ट समय पर पूरा करवाना

खरीदार-बिल्डर विवाद सुलझाना

संक्षेप में: महारेरा घर खरीदारों का रक्षक कानून है, जिसने तालेगांव के 279 परिवारों को नया जीवन दिया।

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