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पीसीएमसी विद्यालयों में दाखिलों की बढ़ती संख्या और बेहतर

शैक्षणिक परिणाम, राष्ट्रीय गिरावट के उलट रुझान

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पिंपरी। देशभर में जहाँ यूडीआईएसई+ (UDISE+) के आँकड़े नागरी विद्यालयों में विद्यार्थियों की घटती संख्या दिखा रहे हैं, वहीं पिंपरी चिंचवड महानगरपालिका (पीसीएमसी) के स्कूल एक अलग ही तस्वीर पेश कर रहे हैं। यहाँ विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, विशेषकर बालिकाओं की, और स्वतंत्र आकलन यह साबित कर रहे हैं कि शैक्षणिक गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

पीसीएमसी के 134 नागरी विद्यालयों में दाखिले 2022-23 के 48,153 से बढ़कर 2023-24 में 50,581 और 2024-25 में 50,749 हो गए। चालू शैक्षणिक वर्ष 2025-26 में, 8 सितंबर तक यह संख्या 54,418 तक पहुँच चुकी है। इनमें बालिकाओं की संख्या लगातार अधिक रही है – 2022-23 में 24,788 से बढ़कर 2024-25 में 25,922 और 2025-26 में 27,809 तक।

शैक्षणिक परिणामों में भी सकारात्मक बदलाव आया है। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI) के आकलन में शुरुआती स्तर (Beginner) के विद्यार्थियों की संख्या 2023-24 में 28% से घटकर 2024-25 में 13% रह गई, जबकि उच्च स्तर (Advanced) पर पहुँचने वाले विद्यार्थी 0.5% से बढ़कर 6% हो गए। विशेषकर दूसरी कक्षा में शुरुआती स्तर के बच्चे 30% से घटकर 7% और उन्नत स्तर के 0% से बढ़कर 25% हो गए।

पीसीएमसी आयुक्त शेखर सिंह ने कहा, “बालिकाओं के दाखिले में लगातार वृद्धि होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह माता-पिता के विश्वास को दर्शाता है कि हमारे विद्यालय सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं। क्यूसीआई आकलन से यह भी स्पष्ट है कि हमारी शैक्षणिक प्राथमिकताओं का असर सामने आ रहा है। हम शिक्षा और सुरक्षा को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं।”

इन सुधारों का लाभ प्राथमिक से लेकर उच्च कक्षाओं तक विद्यार्थियों को मिल रहा है। पीसीएमसी की 211 बालवाड़ियों में 6,000 से अधिक बच्चों ने अनुकूल कक्षाओं का अनुभव किया है, जिससे प्रारंभिक साक्षरता, अंकज्ञान और मोटर स्किल्स में 20-24% सुधार देखा गया। ‘स्पंदन’ कार्यक्रम से जीवन-कौशल और सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा को प्रोत्साहन मिला है, वहीं ईएसएल (English as a Second Language) कार्यक्रम से 27,000 से अधिक छात्रों में अंग्रेज़ी सीखने का आत्मविश्वास बढ़ा है। सांस्कृतिक गतिविधियाँ जैसे ‘आर्ट बॉक्स’ और ‘जल्लोष शिक्षणाचा’ विद्यार्थियों की प्रतिभा निखार रही हैं, वहीं ‘भारत दर्शन’ यात्राएँ उन्हें राष्ट्रीय स्तर का अनुभव दिला रही हैं।

अतिरिक्त आयुक्त प्रदीप जांभळे पाटील ने कहा, “यह केवल कागज़ी योजना नहीं, बल्कि रोज़ अमल में लाया गया प्रयास है। डीबीटी से स्कूल किट, डिजिटल क्लासरूम, पुस्तकालय, कला व खेल शिक्षक, क्यूसीआई आकलन – यह सब माता-पिता को दिखाई दे रहा है, और यही विश्वास दाखिलों में वृद्धि के रूप में सामने आ रहा है।”

सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। एनसीपीसीआर और एनसीईआरटी के दिशा-निर्देशों के तहत स्कूल सेफ्टी ऑडिट, पुलिस विभाग के पुलिस काका और दामिनी स्क्वॉड सत्र, मुस्कान फाउंडेशन और अर्पण संस्था से बाल सुरक्षा प्रशिक्षण, 23 काउंसलरों की नियुक्ति और स्कूल प्रबंधन समितियों की सक्रियता ने सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया है।

प्रमुख आँकड़े

दाखिला रुझान : 2022-23 (48,153) → 2023-24 (50,581) → 2024-25 (50,749) → 2025-26 (54,418, 8 सितंबर तक)

बालिकाएँ बहुमत में : 2025-26 में कुल 51.1%

क्यूसीआई आकलन : शुरुआती स्तर 28% → 13%, उन्नत स्तर 0.5% → 6%

प्रारंभिक शिक्षा : 6,000+ बालवाड़ी छात्र; 20–24% सुधार

प्रमुख पहल : डीबीटी, डिजिटल क्लासरूम, ईएसएल, स्पंदन, जल्लोष शिक्षणाचा, भारत दर्शन, कला-खेल शिक्षक, कक्षा-पुस्तकालय

सुरक्षा उपाय : एनसीपीसीआर/एनसीईआरटी ऑडिट, पुलिस काका, दामिनी स्क्वॉड, 23 काउंसलर, सक्रिय एसएमसी

पीएम श्री पीसीएमसी पब्लिक स्कूल, म्हेत्रेवाडी (स्कूल नं. 92) की मुख्याध्यापिका स्नेहल मोरे ने कहा, “2023-24 में हमारे स्कूल में 804 विद्यार्थी थे, जो इस वर्ष बढ़कर 874 हो गए हैं। इनमें बालिकाएँ 405 से बढ़कर 458 हो गई हैं। पीएम श्री योजना से हमें निजी स्कूलों जैसी सुविधाएँ मिली हैं – रोबोटिक्स व इनोवेशन लैब सहित – और ‘सक्षम’ पहल से विद्यार्थियों की तैयारी और मजबूत हुई है।”

छत्रपति शाहू महाराज इंग्लिश मीडियम स्कूल, कासारवाडी के प्रधानाध्यापक परिजात प्रकाश ने बताया, “हमारे जूनियर केजी की 80 सीटें लॉटरी से भरती जाती हैं। 2024-25 में 182 आवेदन आए, जबकि इस वर्ष लगभग 20% अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। न सिर्फ प्रवेश स्तर, बल्कि लेटरल एंट्री के लिए भी अभिभावक उत्साहित हैं। कई परिवार अपने बच्चों को निजी विद्यालयों से निकालकर पीसीएमसी स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं। ड्रॉप-आउट दर में भी लगातार कमी आई है। अभिभावक अक्सर कहते हैं कि अगर एक बच्चा हमारे यहाँ पढ़ रहा है तो दूसरे को भी सरकारी स्कूल में ही दाखिला दिलाते हैं। यह हमारे विद्यालयों पर बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।”

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