
पुणे, – – सिडबी (SIDBI) ने उद्योग क्लस्टरों के विकास के लिए एक सस्ती, नई और स्वयं-चालित उद्योग संघटन विकास Development of Industry Associations (DIA) मॉडल योजना शुरू की है, जिसे कहा गया है। इस राष्ट्रीय योजना के तहत National Conclave on DIA का उद्घाटन वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के सचिव श्री एम. नागराजु ने 24 सितम्बर 2025 को नई दिल्ली में किया।
इस कॉन्क्लेव में देशभर के लगभग 90 उद्योग संघों के 125 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें पूर्वोत्तर के 4 राज्यों से भी 8 उद्योग संघ शामिल हुए। प्रतिनिधियों ने इंजीनियरिंग, प्लास्टिक, प्रिंटिंग, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, फर्नीचर, ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया।
मौके पर श्री मनोज मित्तल, CMD, सिडबी (SIDBI ने कहा – “मज़बूत क्लस्टर के लिए मज़बूत उद्योग संघ जरूरी हैं।” SIDBI की रणनीति दो हिस्सों में होगी –
1. उद्योग संघों को आधारभूत ढांचा, प्रशिक्षित मानव संसाधन और शुरुआती गतिविधियों में सहयोग देना।
2. डिजिटल पोर्टल के ज़रिए पूरे ईको-सिस्टम को मज़बूत करना।
यह पोर्टल सभी पंजीकृत उद्योग संघों और उनके सदस्यों को शोध, नेटवर्किंग, सीखने, नई जानकारियाँ पाने और अपनी वित्तीय व तकनीकी ज़रूरतों को साझा करने की सुविधा देगा।
श्री मित्तल ने आगे कहा कि “आख़िरी लक्ष्य वित्तीय रूप से मज़बूत उद्योग संघ बनाना है, जिनके पास एक्शन प्लान हो और वे अपने सदस्यों को रणनीतिक सेवाएँ दे सकें। इससे सीखने के लिए FPOs (किसान उत्पादक संगठन) का उदाहरण है, जो 10+ साल में 44,000 इकाइयों तक पहुँच गए हैं और करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं।”
श्री एम. नागराजु ने उद्घाटन भाषण में कहा – “भारत को केवल उत्पादन केंद्र नहीं बल्कि नवाचार (innovation) के केन्द्र बनना होगा। क्लस्टर विकास चार चरणों से गुजरता है – शुरुआत, स्थापना, संचालन और परिवर्तन। आज कई भारतीय क्लस्टर दूसरे या तीसरे चरण में हैं। उद्योग संघों को मशालधारी बनकर इन्हें चौथे चरण यानी परिवर्तन तक ले जाना होगा, जहाँ वे न सिर्फ स्थानीय ज़रूरतों को पूरा करें बल्कि वैश्विक वैल्यू चेन को भी दिशा दें।”
उन्होंने आगे कहा कि कई उद्योग संघों में पैमाने (scale), वित्तीय स्थिरता और आधुनिक सेवाएँ देने की क्षमता की कमी है। अगर MSMEs को सशक्त करना है, तो हमें उद्योग संघों की क्षमता बढ़ाने में निवेश करना होगा। “हमारे क्लस्टरों को उत्पादन हब से नवाचार केन्द्रों में बदलना होगा और उद्योग संघों को केवल प्रतिनिधि नहीं बल्कि परिवर्तन के उत्प्रेरक (catalyst) बनना होगा।”
राउंड टेबल चर्चा में कई नए मॉडल सुझाए गए जैसे – MSME सॉल्यूशन सेंटर (जहाँ रिटायर्ड प्रोफेशनल्स की सेवाएँ ली जा सकें), गेन शेयरिंग मॉडल, अनावश्यक कागज़ी काम खत्म करना, सर्विस प्रोवाइडर्स से रॉयल्टी कमाना, ज़रूरी सेवाओं के लिए शुल्क लेना आदि। इनसे उद्योग संघों को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने के रास्ते सामने आए।
अधिक जानकारी के लिए: https://dia-msme.in/
SIDBI के बारे में:
1990 में स्थापना के बाद से SIDBI ने समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के जीवन पर सकारात्मक असर डाला है। अपने एकीकृत, नवाचारी और समावेशी दृष्टिकोण के माध्यम से SIDBI ने पारंपरिक और घरेलू छोटे उद्यमियों से लेकर समाज के निचले तबके के उद्यमियों और उच्चस्तरीय ज्ञान-आधारित उद्यमियों तक सभी को सहयोग दिया है।
SIDBI ने विभिन्न ऋण और विकास कार्यक्रमों के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSEs) तक पहुँच बनाई है।
SIDBI 2.0 का उद्देश्य है – समावेशी, नवाचारी और प्रभावशाली पहल।



